UAE India Relation: भारत सरकार द्वारा देश में हाल ही में नया वक्फ कानून बनाया गया है, जिसका कुछ मुसलमान विरोध कर रहे है. इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार पर धार्मिक भेदभाव का आरोप भी लगाया है, लेकिन दुनिया के ताकतवर मुस्लिम देशों का इससे कोई लेना-देना नहीं है, उनका पीएम मोदी के नेतृत्व पर अटूट भरोसा है और यही वजह है कि वो भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने में जुटें हुए है.
दरअसल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के एक सांसद ने कहा है कि यह भारत और यूएई के लिए द्विपक्षीय संबंधों में निवेश करने का सही समय है, क्योंकि दोनों देशों के पास दूरदर्शी नेतृत्व है. ऐसे में दोनों देशों को अपने संबधों का लाभ उठाना चाहिए.
अलगाव कभी भी समाधान नहीं
यूएई में रक्षा मामलों, आंतरिक और विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष अली राशिद अल नुएमी ने दुबई में जारी वैश्विक न्याय, प्रेम व शांति शिखर सम्मेलन के दौरान कहा कि अलगाव कभी भी समाधान नहीं है और देशों को दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.
परिवर्तन के चौराहे पर खड़े है हम
उन्होंने कहा कि इस समय हमारे पास दूरदृष्टि रखने वाला सही नेतृत्व है जो चुनौतियों को समझता है और अवसरों को देख सकता है. हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना और इस अवसर का लाभ उठाना बहुत महत्वपूर्ण है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से हम जिस पुरानी व्यवस्था को जानते थे, अब हम उससे बंधे नहीं रह गए हैं. हम परिवर्तन के चौराहे पर खड़े हैं.
आग्रणी रहने के लिए आना होगा एक साथ
विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष ने कहा कि ‘‘यदि हम अपने समुदाय और अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करने में लगे रहेंगे, तो हमें ही नुकसान होगा. हमें अग्रणी रहने का फार्मूला बनाने के लिए एक साथ आना होगा, जो मेरे मानने के अनुसार संभव है.’’
असमानताओं से निपटने की तत्काल आवश्यकता
इसी बीच मॉरीशस की पूर्व व पहली राष्ट्रपति अमीना गुरीब-फकीम ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ है जब असमानताओं से निपटने की तत्काल आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि अनिश्चितता के इस दौर में ‘संपन्न’ और ‘वंचित’ के बीच दूरी बढ़ रही हैं. ऐसे में मेरे लिए, असमानता सबसे खराब मुद्दों में से एक है, जिससे तत्काल निपटने की आवश्यकता है.
फकीम ने महात्मा गांधी का भी किया जिक्र
इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि न्याय, शांति और प्रेम कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें महात्मा गांधी ने बहुत पहले ही मानवीय चेतना में शामिल कर दिया था. बस हमें उन्हें आज के दौर में वापस लाने की जरूरत है. इसलिए, हमें जल्द से जल्द इस संवाद की आवश्यकता है.
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