लंदन स्टेशन पर लगे बंगाली साइनबोर्ड को लेकर ब्रिटिश सांसद ने जताई आपत्ति, Elon Musk ने दी प्रतिक्रिया

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

London Station Bengali Signboard: सोशल मीडिया के इस जमाने में कब क्या चीज वायरल हो जाए, ये कोई नहीं जानता. चाहे देश हो या विदेश आए दिन कोई न कोई चीजें सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी रहती हैं. इसी बीच लंदन स्टेशन के एक द्विभाषीय साइनबोर्ड को लेकर इंटरनेट पर बहस छिड़ी हुई है. दरअसल, लंदन के व्हाइटचेपल स्टेशन के प्रवेश द्वार पर एक साइनबोर्ड लगा है, जिसपर अंग्रेजी के साथ-साथ बंगाली भाषा का भी इस्तेमाल किया गया है.

ब्रिटिश सांसद ने जताई आपत्ति

लंदन के व्हाइटचेपल स्टेशन के प्रवेश द्वार पर लगे इस साइनबोर्ड को लेकर यूके के सांसद ने आपत्ति जताई है. ब्रिटेन के द ग्रेट यारमाउथ से सांसद रुपर्ट लोव ने 9 फरवरी, रविवार को एक्स पर द्विभाषीय साइनबोर्ड की शेयर की है. इसके साथ ही उन्होंने लिखा- “यह लंदन है और इस स्टेशन का नाम भी अंग्रेजी और सिर्फ अंग्रेजी में ही होना चाहिए. किसी अन्य भाषा में नहीं.”

एलन मस्क ने दी प्रतिक्रिया

सांसद रुपर्ट लोव का ये पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और चर्चा का विषय बन गया है. वहीं, अब इस पोस्ट पर टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. इस पोस्ट पर रिएक्ट करते हुए एलन मस्क ने “हां” लिखा है. हालांकि, कुछ इंटरनेट यूजर्स यूके सांसद की मांग को सही बता रहे हैं. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि दो भाषाओं में साइनबोर्ड होने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की थी सराहना

दरअसल, लंदन के व्हाइटचेपल स्टेशन पर ये बंगाली साइनबोर्ड साल 2022 में पूर्वी लंदन में बांग्लादेशी समुदाय की भूमिका को श्रद्धांजलि देने के लिए लगाया गया था. लंदन के इस इलाके में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी समुदाय के लोग रहते हैं. बंगाली साइनबोर्ड लगाए जाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी खुशी जाहिर की थी. उन्होंने साल 2022 में एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा था, “यह जानकर काफी गर्व हो रहा है कि लंदन ट्यूब रेल ने व्हाइटचेपल स्टेशन पर बंगाली भाषा को इसके साइनबोई के लिए स्वीकार किया है. यह कदम 1000 साल पुराने भाषा के वैश्विक महत्ता और मजबूती को दिखाता है.”

इसके अलावा उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा था, “यह कदम दिखाता है कि प्रवासियों में समान सांस्कृतिक दिशा में मिलकर काम करना चाहिए. यह हमारी संस्कृति और विरासत की जीत है.”

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