Ukraine Peace Summit: भारत ने चली ऐसी चाल, रूस हुआ खुश; चीन-पाक को अफसोस…!

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Ukraine Peace Summit Switzerland India: रूस-यूक्रेन जंग को लेकर स्विट्जरलैंड में आयोजित यूक्रेन पीस समिट में भारत ने ऐसी चाल चली कि पुतिन भी खुश हो गए होंगे. स्विट्जरलैंड में आयोजित शांति सम्मेलन में साझा बयान से भारत ने खुद को अलग रखा है. भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे विदेश मंत्रालय के सेक्रेटरी (पश्चिम) पवन कपूर ने बताया कि भारत ऐसे ही प्रस्ताव पर सहमति जताएगा, जिसे दोनों ही पक्ष मानते हों, इसलिए भारत इस ‘अंतिम दस्तावेज़’ से ख़ुद को अलग कर रहा है.

भारत ने क्यों नहीं किया साइन ?

दरअसल, भारत किसी भी जंग में शांति का पक्षधर रहा है. वहीं, अब वो अपने पुराने दोस्त रूस के साथ किसी तरह की गद्दारी नहीं चाहता. स्विट्जरलैंड में आयोजित यूक्रेन पीस समिट में भारत ने यूक्रेन शांति दस्तावेज पर साइन नहीं किया. खास बात यह है कि भारत ने यह दांव तब चला, जब दुनिया के 80 से अधिक देशों ने इस शांति दस्तावेज पर साइन किए. भारत के इस स्टैंड ने पूरी दुनिया को चौंका दिया. हालांकि, भारत इस शांति दस्तावेज के खिलाफ नहीं है. लेकिन उसके साइन न करने की एकमात्र वजह भी रूस ही है. भारत चाहता है कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले रूस और यूक्रेन का एक साथ एक मंच पर होना जरूरी है. ताकि दुनिया दोनों पक्षों की बात सुनकर अपनी राय या सहमति बनाए.

इन देशों ने भी नहीं किया हस्ताक्षर

बता दें कि स्विट्जरलैंड में आयोजित अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन में भारत एक बार फिर यूक्रेन के दबाव में नहीं आया. भारत ने शांति सम्मेलन के साझा बयान से खुद को बाहर कर लिया है. भारत ने घोषणा की है कि वह स्विट्जरलैंड में चल रहे यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन के संयुक्त वक्तव्य का हिस्सा नहीं होगा. भारत के अलावा सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मैक्सिको और संयुक्त अरब अमीरात उन देशों में शामिल थे, जिन्होंने यूक्रेन के लिए शांति पर आयोजित शिखर सम्मेलन में भाग लिया लेकिन अंतिम विज्ञप्ति पर हस्ताक्षर नहीं किए.

पवन कपूर ने बताई वजह

शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) पवन कपूर ने कहा, ‘हमारे विचार में केवल वे विकल्प ही स्थायी शांति की ओर ले जा सकते हैं जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हों. इस दृष्टिकोण के अनुरूप, हमने इस शिखर सम्मेलन से निकलने वाले संयुक्त विज्ञप्ति या किसी अन्य दस्तावेज़ से जुड़ने से बचने का फैसला किया है.’ सम्मेलन में भारत की उपस्थिति के बारे में बताते हुए कपूर ने कहा, ‘हम यूक्रेन में स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए सभी गंभीर प्रयासों में योगदान देने के लिए सभी हितधारकों के साथ-साथ संघर्ष के दोनों पक्षों के साथ बातचीत जारी रखेंगे.

भारत ने क्या कहा?

समिट में भारत के सीनियर राजनयिक ने कहा कि शांति शिखर सम्मेलन में भारत भागीदारी और यूक्रेन के शांति फार्मूले पर आधारित वरिष्ठ अधिकारियों की कई पूर्व बैठकें हमारे स्पष्ट और सुसंगत दृष्टिकोण के अनुरूप हैं कि स्थायी शांति केवल बातचीत और कूटनीति के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है. पवन कपूर ने भारत के रुख़ को स्पष्ट करते हुए कहा, “समिट में हमारी भागीदारी और सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ लगातार संपर्क का उद्देश्य संघर्ष के स्थायी समाधान के लिए आगे का रास्ता खोजने के लिहाज से कई विचारों और विकल्पों को समझना है. हमें लगता है कि केवल वो विकल्प जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हों, स्थायी शांति की ओर ले जा सकते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए हमने ख़ुद को समिट की ओर से जारी किए जा रहे साझे बयान या किसी भी तरह के अन्य दस्तावेज से ख़ुद को अलग करने का फ़ैसला लिया है.”

चीन-पाक को अफसोस

जानकारी के मुताबिक यूक्रेन शांति सम्मेलन में रूस को बुलाया गया था. हालांकि, चीन और पाकिस्तान को इसमें शामिल होने का न्योता मिला था. लेकिन पाकिस्तान और चीन दोनों ने स्विटजरलैंड समिट में शामिल होने से इनकार कर दिया. इधर भारत के इस स्टैंड से रुस खफा भी हो सकता था, मगर भारत की चाल से अब वो खुश होगा. वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान और चीन अफसोस कर रहे होंगे कि काश हम भी भारत की तरह ही स्टैंड लेते.

 

 

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