UNESCO के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में भगवद गीता और नाट्यशास्त्र शामिल, जानिए क्या है इसके मायने

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

UNESCO: भारत की सांस्‍कृतिक विरासत को पहचान दिलाने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है. दरअसल,  भगवद गीता और  भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया, जिससे दुनियाभर के लोगों को भारतीय संस्‍कृत को जानने और समझने का मौका मिलेगा.

यूनेस्‍को के इस फैसले पर पीएम मोदी ने खुशी जाहिर की है. उन्‍होंने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स पर अपने एक पोस्‍ट में कहा कि दुनियाभर में फैले हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है. यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल किया जाना हमारी शाश्वत बुद्धिमत्ता और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है.

दुनिया को प्रेरित करती है गीता-नाट्यशास्त्र की अंतर्दृष्टि

उन्‍होंने कहा कि गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है. उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के एक्स पोस्ट को साझा किया.

शाश्वत ज्ञान और कलात्मक प्रतिभा का जश्न

दरअसल, गजेंद्र सिंह शेखावत ने लिखा कि भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है. श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया है. यह वैश्विक सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान और कलात्मक प्रतिभा का जश्न मनाता है. भगवद् गीता एक प्रतिष्ठित धर्मग्रंथ और आध्यात्मिक मार्गदर्शक है. नाट्यशास्त्र, प्रदर्शन कलाओं पर एक प्राचीन ग्रंथ है. यह लंबे समय से भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रमुख स्तंभ है.

साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक ये कालातीत रचनाएं

पर्यटन मंत्री उन्होंने कहा कि ये कालातीत रचनाएं साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं. वे दार्शनिक और सौंदर्यवादी आधार हैं जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है. इसके साथ ही अब हमारे देश के 14 अभिलेख इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल हो गए हैं.

क्‍या है यूनेस्‍को?

बता दें कि यूनेस्को का मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर विश्व के कई महत्वपूर्ण दस्तावेज धरोहरों की सूची है, जिसमें दस्तावेजी धरोहरों को अंतरराष्ट्रीय सलाहकार समिति की सिफारिश और कार्यकारी बोर्ड की स्वीकृति से चुना जाता है. इस सूची में शामिल होना दस्तावेज़ी धरोहर के वैश्विक महत्व और सर्वकालिक मूल्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करता है. इससे शोध, शिक्षा, मनोरंजन और संरक्षण को बढ़ावा मिलता है.

यूनेस्‍को में जोड़े गए 74 नए दस्तावेजी विरासत संग्रह

ऐसे में ही यूनेस्को ने 17 अप्रैल को अपने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में 74 नए दस्तावेजी विरासत संग्रह जोड़े, जिसमें कुल अंकित संग्रहों की संख्या बढ़कर 570 हो गयी. बता दें कि इस रजिस्टर में 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों की वैज्ञानिक क्रांति, इतिहास में महिलाओं का योगदान तथा बहुपक्षवाद की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रविष्टियां शामिल की गईं.

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यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल हुई भगवद गीता और नाट्यशास्त्र, पीएम मोदी ने बताया गर्व का क्षण

श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया है....

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