UNSC reforms: भारत ने धर्म और आस्था के नाम पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को गुमराह करने वाले एजेंडेबाजों को जमकर खरी-खोटी सुनाई है. भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी.हरीश ने इसे यूएनएससी में वास्तविक सुधारों को रोकने का प्रयास बताया है.
भविष्य की परिषद का आकार और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व पर क्लस्टर चर्चा’ पर अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) बैठक में पी.हरीश ने कहा कि नयी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में धर्म और आस्था जैसे नए मानदंडों को प्रतिनिधित्व के आधार के रूप में शामिल करने के प्रयासों की हम कड़ी निंदा करते हैं. यह क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के स्वीकृत आधार के पूरी तरह विपरीत है.
यूएनएससी सुधारों पर प्रगति नहीं चाहते ये लोग
उन्होंने कहा कि जो लोग नियम आधारित वार्ता का विरोध करते हैं, वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधारों पर प्रगति नहीं चाहते है. नयी परिषद में प्रतिनिधित्व के लिए धर्म और आस्था जैसे नए मानदंडों को अधार बनाने का प्रयास क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के पूरी तरह विपरीत है, जो संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व के लिए स्वीकृत आधार रहा है.
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व समय की कसौटी पर खरा
उन्होंने आगे कहा कि उचित कार्य पद्धतियों और जवाबदेही तंत्र युक्त नयी परिषद अहम वैश्विक मुद्दों पर सार्थक ढंग से काम करने में सक्षम होगी. इस दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि एक ऐसा मॉडल जिसमें स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार नहीं हो वह सुधार के उद्देश्य को हासिल नहीं कर सकेगा और इससे स्थिति यथावत रहेगी.
वहीं, इससे पहले पी. हरीश ने जी-4 देशों ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत की ओर से एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व एक स्वीकृत चलन है, जो संयुक्त राष्ट्र में समय की कसौटी पर खरा उतरा है. इसके अलावा, जी4 देशों ने कहा कि वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र का जो स्वरूप है वह एक अन्य युग का है, वह अब मौजूद नहीं है और वर्तमान की भू-राजनीतिक परिस्थितियां इस स्वरूप की समीक्षा की मांग करती हैं.
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