बांग्लादेश में बढ़ा भुखमरी का खतरा, अमेरिका ने रोकी शरणार्थियों को दी जाने वाली सहायता; 10 लाख से अधिक लोग होंगे प्रभावित

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

US-Bangladesh Relation: बांग्लादेश में इस समय रोहिंग्या शरणार्थियों को खाद्यान्न में कटौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि सहायता एजेंसियों ने धन में कटौती की है. दरअसल, इन शरणार्थियों को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता पर ट्रंप ने रोक लगा दी है. अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने शरणार्थियों को दी जानी वाली खाद्यान्न मदद को आधा करने का फैसला किया है.

हालांकि अमेरिका के इस फैसले को लेकर बांग्लादेशी शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों का कहना है कि वे अगले महीने से खाद्यान्न राशन में होने वाली कटौती से चिंतित हैं. इसी बीच एक शरणार्थी अधिकारी का कहना है कि इस कटौती से 10 लाख से अधिक शरणार्थियों के पोषण पर असर पड़ेगा. इतना ही नहीं, इसका सामाजिक और मानसिक असर भी होगा.

ट्रंप ने रोकी कई विदेशी सहायता

बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में पद संभालते ही अधिकांश विदेशी सहायता रोक दी है. इसके साथ ही उन्‍होंने अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए काम करने वाली अमेरिकी एजेंसी यूएसएआईडी को भी भंग कर दिया, जिसके वजह से दुनिया भर में मानवीय मदद के लिए चलाए जा रहे काम पर बुरा असर पड़ा है.

खाद्य राशन के अलावा बजट में भी कटौती

दरअसल, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की मुख्य खाद्य एजेंसी विश्व खाद्य कार्यक्रम ने घोषणा की थी कि 1 अप्रैल से बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में खाद्यान्न राशन में कटौती शुरू हो जाएगी. बता दें कि कॉक्‍स बाजार में रोहिंग्या शरणार्थियों के दर्जनों शिविर हैं. इसी बीच बांग्लादेश के अतिरिक्त शरणार्थी राहत और प्रत्यावर्तन आयुक्त शमसूद दौजा ने बताया कि अमेरिका की ओर से पहले राशन के लिए मिलने वाली मदद 12.50 डॉलर प्रति माह थी, जिसे अब घटाकर 6 डॉलर कर दिया गया है. उन्‍होंने ये भी कहा कि कुछ ऐसे भी क्षेत्र है, जहां खाद्य राशन के अलावा बजट में भी कटौती की गई है.

शरणार्थियों के लिए सबसे बड़ा मददकर्ता अमेरिका

बता दें कि बांग्‍लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा मददकर्ता रहा है. ऐसे में शरणार्थियों के लिए मानवीय सहायता पर खर्च की जाने वाली मदद राशि का करीब आधा हिस्सा अकेले अमेरिका खर्च करता है. साल 2024 में इसके लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र ने 300 मिलियन डॉलर की मदद दी थी.

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