अमेरिका-चीन की लड़ाई से ‘चीन+1’ पॉलिसी ने पकड़ी रफ्तार, अब iPhone का एक और सप्लायर भारत में बनाएगा सामान

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

US-China-India war: डोनाल्ट ट्रंप के दोबार सत्‍ता में आने के बाद से यूएस और चीन के बीच ट्रेड वॉर काफी बढ़ गया है. दोनों देश लगातार एक दूसरे पर बढ़-चढ़कर टैरिफ लगा रहे हैं. ऐसे में मल्टीनेशनल कंपनियों की चीन प्‍लस वन पॉलिसी फिर से रफ्तार पकड़ रही है. इस पॉलिसी के तहत मल्टीनेशनल कंपनियां अपनी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए चीन का विकल्प खोज रही हैं, जिसमें भारत फिट बैठ रहा है.

यही वजह है कंपनिया चीन से अपना सामान समेट भारत की ओर रूख कर रही है. इसी बीच अब एक और आईफोन बनाने वाली कंपनी भारत में शिफ्ट होने का सोच रही है.

भारत आ रही है मुराता

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका की दिग्गज कंपनी एपल अपनी सप्लाई चेन को डायवर्सिफाई कर रही है, जिससे चीन पर निर्भरता को कम किया जा सके. वहीं, आईफोन के लिए कंपोनेंट्स बनाने वाली जापान की कंपनी मुराता अपनी कुछ मैन्यूफैक्चरिंग को भारत में शिफ्ट करना चाहती है, जिससे भारत को बड़ा फायदा होने वाला है.

कई उपकरणों में यूज होते हैं कंपनी के प्रोडक्ट्स

बता दें कि जापानी कंपनी मुराता मल्टीलेयर सिरेमिक कैपेसिटर बनाती है. कंपनी का 60 प्रतिशत प्रोडक्शन जापान में ही होता है. वहीं, अब अपना प्रोडक्शन शिफ्ट करने के लिए कंपनी के पास दो बड़े विकल्प थे चीन और भारत, लेकिन वह भारत को चुन रही है. कई सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में मुराता के प्रोडक्ट्स इस्‍तेमाल किए जाते है. एपल, सोनी और सैमसंग से लेकर एनवीडिया तक मुराता के प्रोडक्ट्स यूज कर रही हैं.

निवेश बढ़ाने के लिए सिमुलेशन चला रही कंपनी

दरअसल, मुराता के प्रेसिडेंट नोरिया नाकाजिमा का कहना है कि कंपनी भारत में अपना निवेश बढ़ाने के लिए सिमुलेशन चला रही है. हम अपने नए कैपेसिटर ज्यादातर जापान में मैन्यूफैक्चर कर रहे हैं, लेकिन ग्राहक विदेशों में ज्यादा मैन्यूफैक्चर करने के लिए कह रहे हैं.’

तमिलनाडु में किराए पर लिया प्लांट

जापानी कंपनी मुराता ने तमिलनाडु के वन हब चेन्नई इंडस्ट्रियल पार्क में एक प्लांट किराए पर लिया है. दरअसल, कंपनी अगले वित्त वर्ष में इस प्लांट से सिरेमिक कैपेसिटर की पैकेजिंग और शिपिंग की योजना बना रही है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी भारत में एक बड़ा प्लांट लगाने से पहले देश में लॉन्ग-टर्म डिमांड की थाह लेने के लिए 66 लाख डॉलर में पांच साल का पट्टा ले रही है. कंपनी अभी अपने लगभग 60% MLCC जापान में बनाती है. लेकिन नाकाजिमा का कहना है कि यह रेश्यो आने वाले वर्षों में 50% के करीब आ सकता है.

इसे भी पढें:-Pakistan Moon Rover Mission: दोस्त के कंधे पर बैठ चांद देखेगा पाकिस्तान, जानिए क्या है पूरा प्लान

More Articles Like This

Exit mobile version