US Election Result: डोनाल्ड ट्रंप बने राष्‍ट्रपति तो भारत के साथ रिश्तों पर क्या पड़ेगा असर? जानें

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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US Election Result: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्‍मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की जीत लगभग तय हो चुकी है. वह अमेरिका के 47वें राष्‍ट्रपति बनने वाले हैं. आज शाम तक राष्‍ट्रपति के बारे में फैसला हो जाने की संभावना है.  रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी प्रतिद्वंदी कमला हैरिस से काफी आगे चल रहे हैं. अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव के नतीजों पर दुनिया भर की नजर टिकी हुई है. ऐसे में साफ है कि अमेरिका में नए राष्ट्रपति के आने का असर न सिर्फ दुनिया बल्कि भारत पर भी पड़ेगा.

मजबूत हो सकता है सहयोग

द प्रिंट की रिपोर्ट में उन पांच अहम क्षेत्रों की बात की गई है, जहां भारत के लिए अमेरिकी नीति बहुत मायने रखती है. ये नीतिया स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक हैं. क्षेत्रीय की बात करें तो भारत के पड़ोस में चीन की आक्रामकता चिंता का सबब रही है. अमेरिका के पिछले तीन राष्ट्रपतियों- ओबामा, ट्रंप और बाइडन का रुख चीन के मामले में भारत से सहयोग का रहा है. वहीं ट्रंप सरकार में लौटते हैं तो भारत के लिए अमेरिकी सहयोग और मजबूत हो सकता है.

इमिग्रेशन का मुद्दा 

अमेरिकी चुनाव में इमिग्रेशन एक महत्‍वपूर्ण मुद्दा रहा है. मुख्‍य रूप से एच-1बी वीजा कार्यक्रम पर डोनाल्‍ड ट्रंप के प्रतिबंधात्मक रुख ने ऐतिहासिक तौर पर भारतीय पेशेवरों को प्रभावित किया है. उनके राष्ट्रपति रहते हुए विदेशी कामगारों पर बैन लगाए गए. इसने भारतीय आईटी पेशेवरों और फर्मों के लिए चुनौतियां उत्‍पन्‍न कर दी. ये उपाय दोबारा लागू किए जाते हैं, तो अमेरिका में भारतीयों पर सीधा असर होगा.

भारत-अमेरिका के व्यापार संबंधों पर भी असर

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत-अमेरिका के व्यापार संबंधों पर भी असर हो सकता है. रिपब्लिकन उम्‍मीदवार ट्रंप ने कहा था कि विदेशी उत्पादों पर सबसे ज्‍यादा टैरिफ लगाते हैं. उन्होंने सत्ता में आने पर पारस्परिक कर लगाने की कसम खाई थी. ऐसे में भारत से संबंध प्रभावित होने की संभावना है. हालांकि उन्होंने प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया था.

अर्थव्यवस्था पर असर

अर्थव्यवस्था के मामले में हैरिस के तुलना में ट्रंप ज्यादा अलगाववादी और संरक्षणवादी रवैया अपनाएंगे. यह भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय होगा, क्योंकि अमेरिका अक्सर उसका सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है. वहीं तकनीक, हथियार, रक्षा हार्डवेयर और खुफिया सहयोग तक भारत की पहुंच में अमेरिका में राष्ट्रपति बदलने से बदलाव होने के कम चांस हैं.

अमेरिका के रुख में भारत के लिए कोई बड़ा बदलाव आने की संभावना इसलिए भी नहीं है क्योंकि वहां का कोई भी नेता भारत के पक्ष में या उसके खिलाफ नहीं है. वे सभी अमेरिका के पक्ष में होंगे. वे देखेंगे कि भारत उनके हितों में कहां फिट बैठता है और उसी के हिसाब से अपनी नीति बनाएंगे. ऐसे में अमेरिका की मौजूदा नीति ही थोड़े बदलाव के साथ चलती रहेगी.    

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