अमेरिका की बाइडन सरकार ने जाते-जाते भारत को दिया बड़ा तोहफा, परमाणु और AI से है इसका कनेक्शन

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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US-India Relations: अमेरिका में नव निर्वाचित राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के शपथ लेने में महज अब कुछ ही दिन शेष है. ऐसे में निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन सरकार ने जाते जाते भारत को दो बड़े तोहफे दिए हैं, जो भारत और अमेरिका के संबंधों को गहरा करने में अहम भूमिका निभा सकता है. साथ ही दोनों देशों के बीच तकनीकी और सुरक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है.

दरअसल, अमेरिका ने भारत के कुछ प्रमुख परमाणु संस्थानों को अपने परमाणु नियंत्रण कानून से बाहर कर दिया है, जिसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR), और इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) शामिल है. अमेरिकी उद्योग और  सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) ने भारत के इन परमाणु संस्‍थानों से अपनी ‘एंटिटी लिस्ट’ से हटा दिया है.

क्या है ‘एंटिटी लिस्ट’?

बता दें कि अमेरिका ‘एंटिटी लिस्ट’ का उपयोग उन संगठनों पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाने के लिए करता है, जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के लिए खतरा बन सकते हैं.ऐसे में भारत के इन परमाणु संस्‍थानों के इस सूची से बाहर होने का मतलब ये है कि अब ये भारतीय संस्थान अमेरिकी तकनीक और उपकरणों का इस्‍तेमाल बिना किसी विशेष प्रतिबंध के कर सकेंगे.

AI चिप्स तक पहुंच बनी आसान

वहीं, बात करें अमेरिका द्वारा दिए गए दूसरे बड़े तोहफे करें, तो बाइडन प्रशासन ने भारत को एडवांस AI चिप्स फायदा उठाने के लिए बिना किसी रोक-टोक की अनुमति दी है. अमेरिका का यह कदम भारत को उन 18 देशों की सूची में शामिल करता है, जिन्हें ये विशेष तकनीकी सुविधाएं मिलती हैं.

एंटिटी लिस्ट’ में शामिल हुए चीन के 11 संगठन

अमेरिका द्वारा जहां भारत के इन संस्‍थानों को एक तरह की आजादी मिली है, वहीं, चीन के  11 संगठनों को ‘एंटिटी लिस्ट’ में जोड़ा गया है. अमेरिका का यह कदम उस नीति का हिस्सा है, जो चीन और अन्य विरोधियों की एडवांस सेमीकंडक्टर और AI तकनीकों तक पहुंच को सीमित करना चाहती है.

प्रधानमंत्री मोदी के दौरे पर बनी थी सहमति

दिल्‍ली आईआईटी में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले अमेरिकी दौरे के दौरान ही NSA अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात में इन संस्‍थानों पर लगे बैन को हटाने पर चर्चा हुई थी. सुलिवन ने बताया कि अमेरिका ने करीब 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग के एक परियोजना पर काम करना शुरू किया था, लेकिन अब इसे पूरी तरह से साकार करने का समय आ गया है.

भारत-अमेरिका संबंधों में नई मजबूती

बाइडन प्रशासन द्वारा उठाया गया यह कदम भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेंगे, खास तौर से तकनीकी और सुरक्षा क्षेत्रों में. इसके अलावा, अमेरिका का यह कदम वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है. इन रियायतों से भारत को अपनी रक्षा, ऊर्जा और तकनीकी क्षमताओं में जबरदस्त सुधार करने का अवसर मिलेगा, जो दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएगा.

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