US-India trade: अमेरिका राष्ट्रपति द्वारा लागू किए गए टैरिफ के बाद से दुनियाभर हलचल मची हुई है. इसी बीच डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि भारत कुछ चीजों पर टैरिफ कम करने की तैयारी कर रहा है.
दरअसल, भारत और चीन, अमेरिका के 15 सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में शामिल हैं. ऐसे में ट्रंप सरकार लगातार इन दोनों देशों से बातचीत कर रही है, जिससे अमेरिका के घाटे को कुछ कम किया जा सके.
भारत कम करेंगा टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ओवल ऑफिस में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि “मुझे लगता है कि भारत कुछ समानों पर टैरिफ कम करेगा.” हालांकि इस बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी कि वो कौन से प्रोडक्ट्स है, जिसपर भारत की ओर से टैरिफ कम किया जा सकता है.
अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, भारत और अमेरिका के अधिकारी बुधवार (अमेरिकी समय) को वॉशिंगटन में एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत शुरू करेंगे. दोनों देशों के बीच तीन दिवसीय बैठक होगी, जिसमें टैरिफ, गैर-टैरिफ नियमों और कस्टम (सीमा शुल्क) से जुड़ी कुल 19 बातों पर चर्चा की जाएगी.
क्या है अमेरिका का मकसद?
वहीं, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय की मानें तो यह व्यापार समझौता दोनों देशों के कर्मचारियों, किसानों, व्यापारियों और महिलाओं के लिए नए मौके लाएगा. साथ ही अमेरिकी सामानों को विदेशी बाजारों, खासकर भारत में ज्यादा पहुंच मिल सकेगी. दरअसल अमेरिका का मकसद है कि दोनों देशों के बीच इस समझौते से उसे भारत में ज्यादा व्यापार करने का मौका मिले, टैरिफ भी कम हो और लंबे समय तक फायदे भी मिलतक रहें.
हालांकि इससे पहले अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (USTR) द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में राजदूत ग्रीर ने बताया कि भारत और अमेरिका अब एक नए द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. ऐसे में दोनों देशों ने इस समझौते के लिए जरूरी संदर्भ शर्तें तय कर ली हैं.
भारत-अमेरिका ने मिलकर तैयार किया रोडमैप
इतना ही नहीं, उन्होंने ये भी कहा कि “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि USTR और भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने मिलकर व्यापार बातचीत के लिए एक रोडमैप तैयार कर लिया है. भारत के साथ हमारे व्यापार संबंधों में संतुलन की कमी है. ऐसे में दोनों देशों के बीच यह बातचीत अमेरिकी सामानों को भारत के बाजार में जगह दिलाने और उन गलत नीतियों को हटाने में मदद करेगी, जिनसे अमेरिकी कामगारों को नुकसान होता है. उन्होंने कहा कि इस बातचीत से दोनों देशों के बीच व्यापार में बराबरी और संतुलन आएगा.”
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