हिंद महासागर में अमेरिका का नया ठिकाना, सैन्य अड्डा स्थापित कर चीनी पनडुब्बियों पर रखेगा नजर

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

US Military Base: हिंद महासागार में अमेरिका नया सैन्‍य अड्डा स्‍थापित करने की योजना बनाई है. इसके लिए अमेरिका ने हिंद महासागर में स्थित ऑस्‍ट्रेलियाई द्वीप समूह कोकोस को चुना है. अमेरिका के नए सैन्‍य अड्डे का निर्माण हिंद महासागर में चीनी पनडुब्बियों पर नजर रखना है. दरअसल, यह द्वीप समूह मलक्‍का जलडमरूमध्‍य के पास मौजूद है. इस जलडमरूमध्‍य से होकर चीन के आधे से अधिक तेल का आयात होता है.

चीनी पनडुब्बियों की करेगा निगरानी

चीन ने प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में अपनी नौसेना का काफी ज्यादा विस्तार किया है. इस वजह से अमेरिका और उसके सहयोगी राष्‍ट्रों के हितों पर संकट खड़ा हो गया है. उदाहरण के तौर पर फिली‍पींस देश है, जहां अमेरिकी मिलिट्री बेस होने के बावजूद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा. जानकारी के अनुसार, कई अमेरिकी अधिकारी कोकोस पर मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास का मूल्यांकन कर रहे हैं. यह मिलिट्री बेस चीनी पनडुब्बियों ने लिए काल बन सकता हैं.

अमेरिका के प्लान का खुलासा

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका कोकोस द्वीप समूह के अलावा फिलीपींस, पापुआ न्यू गिनी और तिमोर-लेस्ते जैसे अन्य स्थानों पर भी विचार कर रहा है. इसका मकसद चीन की पनडुब्बी गतिविधि में बढ़ोत्‍तरी और भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि के जवाब में अमेरिकी सैन्य क्षमताओं और क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाना है. कोकोस में सैन्‍य अड्डा बनाने का खुलासा हाल में अमेरिकी नौसेना की ही प्रकाशित एक टेंडर से हुआ है. इस टेंडर में कोकोस द्वीप समूह पर एक बेस इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लिस्‍ट किया गया है.

कहां स्थित है कोकोस

कोसोस द्वीप समूह ऑस्ट्रेलियाई मुख्य भूमि से करीब 3 हजार किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. यह एक छोटा सा क्षेत्र है, जिसकी आबादी मात्र 600 है. कोकोस के छोटे आकार के बाद भी मलक्का जलडमरूमध्य के हिंद महासागर के चोकपॉइंट से निकटता इसे रणनीतिक तौर पर काफी महत्‍वपूर्ण बनाती है. इसी चोकपॉइंट से होकर चीन का आधे से अधिक तेल आयात होता है. ऐसे में अमेरिका जब चाहे तब इस द्वीप के जरिए मलक्का जलडमरूमध्य को चोक कर चीन को ऊर्जा आवश्‍यकताओं लिए तरसा सकता है.

अहम है कोकोस द्वीप समूह

हालांकि, अमेरिका के नौसेना के प्रशांत बेड़े की इंजीनियरिंग शाखा, NAVFAC Pacific ने कहा है कि इन प्रोजेक्‍ट्स में अमेरिकी मरीन कॉर्प्स के डार्विन-आधारित रोटेशनल फोर्स के लिए समर्थन शामिल हो सकता है. पिछले वर्ष, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के रक्षा विशेषज्ञ ट्रॉय ली ब्राउन ने इस द्वीप समूह की भौगोलिक स्थिति के रणनीतिक महत्व को उजागर किया था. उन्होंने बताया कि कोकोस शानदार होगा क्योंकि यह मलक्का स्ट्रेट्स के पास रणनीतिक तौर पर मौजूद है. आपके पास मलक्का, सुंडा और लोम्बोक जलडमरूमध्य हैं. उन जलडमरूमध्य की निगरानी करते हुए, आप देख सकते हैं कि विशेष रूप से चीन की पनडुब्बियां कहां हैं.

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