US: ट्रंप ने लागू किया 200 साल पुराना कानून, महज कुछ घंटे में ही कोर्ट ने लगाई रोक

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

US President: डोनाल्‍ड ट्रंप ने राष्‍ट्रपति का पदभार संभालते ही देश में निर्वासन की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. वहीं, इसमें तेजी लाने के लिए उन्‍होंने 18वीं सदी के एक कानून का इस्तेमाल किए जाने की घोषणा की, हालांकि महज कुछ घंटों बाद ही एक संघीय अदालत के न्यायाधीश ने ट्रंप प्रशासन को इसे लागू करने से रोक दिया.

दरअसल,  ट्रंप प्रशासन ने 18वीं सदी के कानून का इस्‍तेमाल करते हुए कहा था कि वेनेजुएला का एक गिरोह अमेरिका पर आक्रमण कर रहा है. ऐसे में प्रशासन के पास उसके सदस्‍यों को देश से निकालने की शक्तियां हैं. ऐसे में कोलंबिया जिले के लिए अमेरिकी जिला न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जेम्स ई बोसबर्ग ने कहा कि उन्हें अपना आदेश तत्काल जारी करने की आवश्यकता है क्योंकि सरकार प्रवासियों को पहले से ही एल साल्वाडोर और होंडुरास भेज रही है.

अमेरिकी प्रशासन का दावा…

बता दें कि अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि डोनाल्‍ड ट्रंप की घोषणा के तहत इन प्रवासियों को नए सिरे से निर्वासित किया जा सकता है और उन्हें एल साल्वाडोर तथा होंडुरास में कैद किया जाएगा. वही, अल साल्‍वाडोर ने इसी सप्‍ताह 300 ऐसे प्रवासियों को स्वीकार करने पर सहमति दी है, जिन्‍हें ट्रंप प्रशासन ने गिरोह का सदस्य घोषित किया है.

1798 में बना था कानून

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बोसबर्ग ने एसीएलयू और ‘डेमोक्रेसी फॉरवर्ड’ द्वारा दायर मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार शाम कहा कि ‘‘मुझे नहीं लगता कि मैं अब और इंतजार कर सकता हूं और मुझे कार्रवाई करनी होगी.’’ हालांकि इस फैसले के कुछ घटें पहले ही ट्रंप ने 1798 के ‘एलियन एनीमीज एक्स’ (विदेशी शत्रु अधिनियम) को लागू करते हुए दावा किया कि वेनेजुएला का गिरोह ‘ट्रेन डी अरागुआ’ अमेरिका पर आक्रमण कर रहा है. उन्‍होंन कहा कि यह अधिनियम राष्‍ट्रपति को बड़े पैमाने पर निर्वासान में तेजी लाने के लिए नीतिगत और कार्यकारी कार्रवाई के संबंध में व्यापक छूट देता है.

अमेरिका में तीन बार हुआ इस अधिनियम का इस्‍तेमाल

बता दें कि इस अधिनियम का इस्‍तेमाल अमेरिका के इतिहास में केवल तीन बार हुआ है और वो भी सिर्फ युद्ध के समय. अमेरिका में निर्वासन से पहले इसका इस्‍तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान किया गया था. उस समय जर्मन और इतालवी लोगों को कैद करने के साथ-साथ जापानी-अमेरिकी नागरिकों को सामूहिक रूप से नजरबंद करने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था.

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