सऊदी प्रिंस सलमान के आगे झुके बाइडेन? हथियारों की बिक्री पर लगा प्रतिबंध हटाएगा अमेरिका

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

US-Saudi Arabia: जो बाइडेन ने जब से अमेरिका के राष्ट्रपति के पद को संभाला, तब से ही उन्होंने ट्रंप की विरासत से एक-एक कर पीछा छुड़ाना शुरू किया. उन्होंने सऊदी अरब को लेकर कुछ सख्‍त और बड़े फैसले किए. इसी कड़ी में उन्‍होंने उन आक्रामक हथियारों को सऊदी अरब को देने पर प्रतिबंध लगा दिया जो अमेरिका का प्रशासन लंबे समय से सऊदी अरब को देता रहा था.

वहीं अब अमेरिका इस प्रतिबंध को हटाने की तैयारी कर रहा है. फाइनेंशियल टाइम्स ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से जानाकारी दी है कि सऊदी अरब और अमेरिका के बीच संबंधों में सुधार होने की उम्मीद काफी बढ़ गई है. संयुक्‍त राष्‍ट्र अमेरिका आने वाले समय में सऊदी अरब को आक्रामक हथियारों की बिक्री पर लगाए गये प्रतिबंध को हटा सकता है.

हथियार खरीदने के मामले में आगे सऊदी

सऊदी अरब दुनिया के उन देशों में शामिल है जो सबसे अधिक मात्रा में हथियार खरीदता है. वैसे तो खाड़ी के सभी देशों का यही हाल है लेकिन सऊदी अरब इस मामले में एक अलग ही मकाम रखता है. सीपरी यानी स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट कर के एक संस्थान है जो इंटरनेशलन लेवल पर हथियारों की खरीदारी और उसके आयात-निर्यात पर नजर रखती है.

सीपरी की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2023 के दौरान दुनिया में जो भी हथियारों का डील हुआ, इसमें एक चौथाई हिस्सा अकेले खाड़ी के देशों और इजिप्ट का था. वहीं सऊदी अरब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियारों का इंपोर्टर देश बना. वह भी तब जब वह पिछले कुछ बरसों से अमेरिका से प्रतिबंध के कारण आक्रामक हथियार नहीं खरीद पाया. लेकिन अब परिस्थितियों ने कुछ इस तरह करवट बदली है कि काफी हद तक मुमकिन है कि सऊदी पर लगा ये प्रतिबंध हट जाए.

इस वजह से लगा था बैन

दरअसल 20 जनवरी 2021 को जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठे. इस दौरान उन्‍होंने सऊदी अरब को लेकर कुछ कड़े और अहम फैसले लिए. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सऊदी अरब का मानवाधिकार के मामलों में खराब प्रदर्शन के कारण ये फैसले लिए गए.  

खासकर, यमन में सऊदी अरब ने जिस तरह से हूती विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई की, इसमें बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई. सऊदी हूती विद्रोहियों को यमन के लिए खतरा मानता है. इसकी वजह ईरान से हूतियों की सांठगांठ भी माना जाता है. सऊदी अरब की हूतियों के खिलाफ लड़ाई जो बाइडेन प्रशासन को रास नहीं आई. जो बाइडेन ने हूतियों के खिलाफ हमलों में अमेरिकी हथियारों के कथित उपयोग के लिए सऊदी अरब और उसके वास्तविक शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को दंडित करने का वादा किया था.

इसके अलावा साल 2018 में वरिष्ठ पत्रकार जमाल खशोगी की हुई हत्या को लेकर अमेरिका पहले से ही नाराज था. ऐसे में, उसने उन आक्रामक हथियारों को सऊदी अरब को देने पर बैन कर दिया जो अमेरिका का प्रशासन लंबे समय से सऊदी अरब को देता रहा था.

अब क्यों हटा रहा प्रतिबंध?

अब अमेरिका तकरीबन तीन साल बाद इस बैन को हटा सकता है. इस मामले में ब्रिटेन के बिजनेस अखबार फाइंनेंशियल टाइम्स ने इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक शख्स के हवाले से जानकारी दिया है कि अमेरिका ने सऊदी को ये जानकारी भी दे दी है कि वह अब अपना प्रतिबंध हटाने जा रहा है.

बता दें कि हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन खाड़ी के दौरे पर भी थे. यूएस और सऊदी न्यूक्लियर एनर्जी से लेकर सुरक्षा और द्विपक्षीय समझौते की दिशा में कुछ करार पर राजी हुए हैं. इसको रियाद और इजराइल के बीच रिश्‍तों को सामान्य करने की दिशा में बढ़ता हुआ कदम बताया जा रहा है. इजराइल पर हमास के हमले के बाद सऊदी और इजराइल के बीच बातचीत की गाड़ी पटरी से उतर गई थी जो फिर एक बार बनती दिख रही है.

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