US-Saudi Military: अमेरिकी सेना का एक डेलिगेशन रविवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुंचा है. सऊदी अरब के संयुक्त बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन हमद अल सलमान ने सेना के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया. डेलिगेशन का स्वागत सऊदी अरब के संयुक्त बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन हमद अल सलमान किया. सऊदी प्रेस एजेंसी के अनुसार, जनरल फहद ने सऊदी जाइंट फोर्स के दफ्तर में अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के डिप्टी चीफ वाइस एडमिरल चार्ल्स ब्रैडफोर्ड कूपर II के नेतृत्व में डेलिगेशन से मुलाकात की.
सऊदी के बड़े अधिकारियों ने किया स्वागत
CENTCOM उन 11 कमांडों में से एक है जिन्हें 1983 में अमेरिका से बाहर टास्क फोर्स तैनात करने के लिए बना गया था. इस कमांड के भीतर आने वाले क्षेत्रों में मध्य पूर्व, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्से हैं. माना जा रहा है कि अमेरिका सेना के प्रतिनिधिमंडल का ये दौरा बेहद खास है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके स्वागत समारोह में सऊदी अरब की सेना और सरकार के कई बड़े अधिकारी शामिल हुए. जनरल फहद के अलावा मेजर जनरल अब्दुल्ला अल-घामदी की अगुवाई में कई सऊदी अधिकारी उपस्थित रहे.
इस वजह से सेना के डेलिगेशन का दौरा
अमेरिकी सेना का ये दौरा ऐसे वक्त में हुआ, जब यमन के हूती विद्रोहियों ने इजराइल पर बड़ा मिसाइल हमला किया है. बता दें कि अमेरिकी प्रशासन पहले से ही सऊदी से हूतियों के खिलाफ एक्शन लेने का आग्रह करता रहा है, लेकिन सऊदी ने हूती विद्रोहियों के साथ हुए शांति समझौते को नहीं तोड़ा है. कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो सऊदी ने हूती ऑपरेशन्स के खिलाफ अमेरिका के सुरक्षा एजेंसियों को खुफिया जानकारी दी हैं. अमेरिका ब्रिटेन और कुछ अन्य अलाय के साथ मिलका हूतियों को रोकने का प्रयास कर रहा है. ऐसे में अगर अमेरिका को सऊदी का साथ मिलता है, तो हूती हमलों को रोकने में काफी मदद मिलेगी.
सऊदी सेना की बढ़ेगी ताकत?
बता दें कि सऊदी अरब मध्य पूर्व में अमेरिका का सैन्य और आर्थिक दोनों ही मामले में सबसे बड़ा पार्टनर है. मध्य पूर्व में बड़े तनाव के बीच सऊदी और अमेरिका अपने सैन्य सहयोग को बढ़ाने में लगे हैं. ईरान मध्य पूर्व में लगातार वर्चस्व बढ़ा रहा है. इस वजह से सऊदी भी अपनी सैन्य ताकत को और मजबूत करना चाहता है. सऊदी अरब में अमेरिकी सेना के बेस पहले से ही मौजूद है. साथ ही सऊदी ने अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर कर रखे हैं. हाल ही में अमेरिका ने बयान दिया था कि अगर ईरान परमाणु शक्ति बन जाता है, तो क्षेत्र को उसके खतरे से बचाने के लिए हम सऊदी अरब को न्यूक्लियर तकनीक देंगे. ऐसे में माना जा रहा है, इस अमेरिकी सेना के इस दौरे के दौरान दोनों देशों के सेनाओं के बीच कई समझौते हो सकते हैं.
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