US supreme court: अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. इस मामले में शीर्ष अदालत ने उनकी सजा के खिलाफ दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. दरअसल भारत लंबे समय से पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी ताहव्वर राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था, क्योंकि वह 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में वांछित है.
63 वर्षीय तहव्वुर राना लॉस एंजिल्स की एक जेल में बंद हैं. राणा के लिए भारत को प्रत्यर्पित न किए जाने का यह आखिरी कानूनी मौका था. हालांकि इससे पहले वह अमेरिकी अपील न्यायालय सहित कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई हार गया था.
कोर्ट ने अस्वीकार की याचिका
बता दें कि 13 नवंबर को राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष “प्रमाणपत्र के लिए याचिका” दायर की थी, जिसे 21 जनवरी को शीर्ष अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया. अदालत ने कहा कि याचिका अस्वीकार की गई. राणा वर्तमान में लॉस एंजिल्स में मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में है.
आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड था हेडली
राणा को पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली, जिसे “दाऊद गिलानी” भी कहा जाता है, के साथ जोड़ा जाता है. दरअसल, हेडली मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था, और राणा ने उसे और पाकिस्तान में स्थित अन्य आतंकवादियों को लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे आतंकवादी संगठन की मदद करने में सहायक भूमिका निभाई थी.
26/11 मुंबई आतंकवादी हमले में 6 अमेरिकियों समेत कुल 166 लोग मारे गए थे. इस हमले में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 60 घंटे से अधिक समय तक मुंबई के अहम स्थानों पर हमला किया था और लोगों की हत्या की थी.
भारत की बड़ी कुटनीतिक जीत
वहीं, तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के अमेरिका का फैसला भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत है, क्योंकि इससे यह साबित होता है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक और प्रभावी है. हालांकि अब तहव्वुर राना का प्रत्यर्पण भारत में किया जाएगा, जहां उन्हें 26/11 हमले के लिए न्याय का सामना करना होगा.
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