Victory Day Pared: रूस में हर साल 9 मई को विक्ट्री डे मिलिट्री परेड का आयोजन किया जाता है, जो रूस के लिए खासा महत्व रखता है. ऐसे में इस बार रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भारत के प्रधानमंत्री को इस परेड में शामिल होने का न्योता दिया है, लेकिन 10 दिन बीत जाने के बाद भी भारत की ओर कसे इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई, ऐसे में सवाल ये है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के इस परेड में शामिल नहीं होंगे. और नहीं भी होंगे तो आखिर इसकी वजह क्या है.
दरअसल, रूस की ओर से इस परेड में शामिल होने के लिए भारत को न्योता मिलना कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी कई बार भारत को रूस द्वारा न्योता भेजा जा चुका है, लेकिन इस बार रूस ने इस परेड में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और नार्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को भी बुलाया है. ये दोनों नेता ही रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस का खुलकर समर्थन कर रहे हैं.
कूटनीतिक दुविधा में भारत
हालांकि भारत ने शुरूआत से ही इस युद्ध का विरोध किया है. और शांति का समर्थन किया है. ऐसे में यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस परेड में शामिल होते है और किम जोंग उन व शी जिनपिंग के साथ स्टेज शेयर करते हैं, तो इसका दुनिया को गलत सिग्नल जाएगा. खासकर अमेरिका और पश्चिमी देशों को.
ऐसे में भारत के लिए ये एक कूटनीतिक दुविधा है. क्योंकि एक ओर वो अपने मित्र पुतिन को मना नहीं करना चाहते है और दूसरी ओर अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार अमेरिका को नाराज नहीं होने देना चाहते है. ऐसे में अब देखना ये है भारत इस दुविधा का क्या समाधान निकालता है और पीएम मोदी रूस जाते है या नहीं….
क्या है विक्ट्री डे परेड?
बता दें कि रूस में हर साल 9 मई को विक्ट्री डे मनाया जाता है. हालांकि, 24 जून, 1945 को पहली विक्ट्री डे परेड हुई थी. इस दौरान रूसी सैनिकों ने न केवल नाजियों से मास्को के लिए लड़ाई लड़ी थी, बल्कि लेनिनग्राड और स्टालिनग्राड की रक्षा की थी. इसके बाद उन्होंने रेड स्क्वायर पर शानदार विक्ट्री डे परेड निकाली थी. इस दिन रेड स्कावयर में भव्य मिलिट्री परेड होती है और दुनिया के तमाम दोस्शोंत देशों के लीडर्स को इसमें बुलाया जाता है.
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