Violence in Bangladesh: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. आरक्षण को लेकर जारी प्रदर्शन अब हिंसा में बदल गई है. पुलिस और प्रदर्शनकारियों में जमकर झड़प हो रही है. इस हिंसा में 3 छात्रों समेत 6 की मौत हो चुकी है. वहीं, सैकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं. फिलहाल प्रदर्शन वाले शहरों में बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश यानी BGB ने मोर्चा संभाल लिया है.
दरअसल, बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी लंबे समय से आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग कर रहे रहे हैं. वहीं, इनका प्रदर्शन अब हिंसा में बदल गया है. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई. अज्ञात लोगों ने दो बसों को आग लगा दी. जगह-जगह सड़कों पर जाम लग गई है. जिससे हजारों लोग सड़कों पर फंस गए.
बताते चलें कि बांग्लादेश के सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के परिसरों में रातभर हिंसा होती रही. हिंसा को काबू में करने के लिए चार प्रमुख शहरों में अर्द्धसैनिक बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के जवानों को तैनात किया गया है. वहीं, सरकार ने बढ़ती हिंसा के बीच स्कूलों और कॉलेजों को अगले आदेश तक बंद रखने का आदेश दिया है. इसके साथ ही गुरुवार को होने वाली HSC की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं.
जानिए कैसे भड़की हिंसा?
बता दें कि बांगलादेश में प्रदर्शनकारी लगातार आरक्षण में सुधार की मांग कर रहे हैं. यह प्रदर्शन उस समय उग्र हो गया जब सत्तारूढ़ अवामी लीग के छात्र मोर्चे के कार्यकर्ता और प्रदर्शनकारी आमने-सामने आ गए. छात्रों का आरोप है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, इसी दौरान सत्तारूढ़ पार्टी के छात्र कार्यकर्ताओं ने उनके ऊपर हमला कर दिया. उनके ऊपर लाठी, पत्थर बरसाए गए और चाकुओं का भी इस्तेमाल किया गया. इधर डीयू छात्र लीग के नेताओं ने आरक्षण विरोध को लेकर सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है.
आरक्षण को लेकर जारी प्रदर्शन के दौरान हिंसा मध्य ढाका, दक्षिण पश्चिम खुलना, उत्तर पश्चिम राजशाही और चट्टोग्राम में देखने को मिली है. प्रदर्शनकारियों ने चट्टोग्राम में हाईवे और रेल रोक दी है. इस विरोध प्रदर्शन में ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. उनका कहना है कि आरक्षण प्रणाली बदला जाए और प्रतिभा के आधार पर सीटों का बंटवारा किया जाए.
जानिए बांग्लादेश की आरक्षण व्यवस्था
ज्ञात हो कि बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था के तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों को वरीयता दी गई है. उन्हें 30 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है. इसके बाद महिलाओं को 10 फीसदी दिया गया है. वहीं, जातीय अल्पसंख्यकों को 5 फीसदी आरक्षण दिया गया है, जबकि एक प्रतिशत विकलांगों के लिए नौकरियां आरक्षित हैं. लेकिन उनका विरोध स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के वंशजों को लेकर है.