Washington DC: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाशिंगटन डीसी में विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक बैठक 2024 के दौरान सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट द्वारा आयोजित ‘ब्रेटन वुड्स इंस्टीट्यूशंस एट 80: प्रायोरिटीज फॉर द नेक्स्ट डिकेड’ पर पैनल चर्चा में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा, भारत दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है. क्योंकि, हर छह में से एक व्यक्ति भारतीय है और दुनिया भारत की अर्थव्यवस्था को नजरअंदाज नहीं कर सकती. वित्त मंत्री ने आगे कहा, कोई भी देश, चाहे वह अमेरिका हो जो बहुत दूर है या चीन जो बहुत करीब है, भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकता.
भारत में है कुशल जनशक्ति
जब निर्मला सीतारमण से सवाल किया गया कि भारत और अन्य बड़े उभरते बाजार किस तरह आगे आकर ऐसी भूमिका निभा सकते हैं, जिससे इस प्रक्रिया का स्वामित्व लेने और सुधार को आगे बढ़ाने में मदद मिले, तो वित्तमंत्री ने कहा, हां, बिल्कुल संभव है और इस पर, मैं फिर से वहीं से शुरू करना चाहती हूं जहां मेरे प्रधानमंत्री का विचार आया था और यह अच्छी तरह से सोचा गया है. निर्मला सीतारमण ने आगे कहा, कुशल जनशक्ति जो आज भारत में है और हर जगह बड़ी कंपनियों को चला रही है, जो बड़े देशों, विकसित देशों में संस्थानों को चलाने के लिए हैं.
बहुपक्षीय संस्थाओं के पक्ष में हमेशा खड़ा रहा है भारत
लेकिन, फिर भी लैरी ने जिस विशेष बिंदु का उल्लेख किया, वह यह है कि आज की दुनिया में, विकसित देशों ने जो रास्ता अपनाया, कपड़ा, साइकिल और कुछ और बनाने से लेकर विकास तक, वह अब उपलब्ध नहीं है. बहुपक्षीय संस्थाओं के प्रति भारत का समर्थन व्यक्त करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, मुझे लगता है कि हमने रणनीतिक और शांतिपूर्ण बहुपक्षवाद की नीतियों का पालन किया है. जिस बहुपक्षवाद के बारे में आप चाहते हैं कि हम बात करें. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा बहुपक्षीय संस्थाओं के पक्ष में खड़ा रहा है.
हम किसी भी बहुपक्षीय संस्था को कमजोर नहीं करना चाहते थे, लेकिन धीरे-धीरे हम देख रहे हैं कि बहुपक्षीय संस्थाओं पर टिकी उम्मीदें और अपेक्षाएं खत्म हो रही हैं. क्योंकि, हमें लगता है कि उनसे कोई समाधान नहीं निकल रहा है. चर्चा के दौरान अन्य पैनलिस्टों में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एमेरिटस अध्यक्ष और चार्ल्स डब्ल्यू एलियट विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लॉरेंस एच समर्स, स्पेन के अर्थव्यवस्था, व्यापार और व्यवसाय मंत्री कार्लोस क्यूरपो और मिस्र के योजना, आर्थिक विकास और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्री रानिया ए अल मशात शामिल थे.