Ajab Gajab: अमेरिका आकाश में क्यों छोड़ रहा लाखों मच्छर? वजह है काफी खास

Abhinav Tripathi
Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Abhinav Tripathi
Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

America News: अमेरिकी राज्य हवाई में विलुप्त हो रहे दुर्लभ पक्षियों को बचाने की प्रक्रिया काफी तेज हो चली है. इन पक्षियों को बचाने का आखिरी प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए हेलिकॉप्टर से आकाश में लाखों मच्छरों को छोड़ने की तैयारी है. उम्मीद जताई जा रही है कि बर्थ कंट्रोल वाले कीड़े से मलेरिया बीमारी की वजह से विलुप्त हो रहे हनीक्रीपर को बचाया जा सकता है.

जानिए क्या है तैयारी

दरअसल, द्वीपीय राज्य हवाई में मौजूद चमकीले रंग के हनीक्रीपर पक्षी अब विलुप्त होने की कगार पर हैं. रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि ये चमकीले पक्षी मलेरिया के कारण मर रहे हैं. 1800 के दशक में पहली बार यूरोपीय और अमेरिकी जहाजों से पहुंचे मच्छर इन दुर्लभ पक्षियों को शिकार बना रहे हैं. बताया जाता है कि इन पक्षियों में रोगप्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है. वहीं, अगर इन पक्षियों को एक बार कोई मच्छर काट दे तो इनकी मरने की आशंका लगभग 90 प्रतिशत हो जाती है.

इतनी पक्षी हो चुके हैं विलुप्त

एक रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका के हवाई राज्य में सबसे ज्यादा हनीक्रीपर की प्रजातियां पाई जाती हैं. बताया जा रहा है ये इन पक्षियों की 33 प्रजातियों में 17 बची हैं, जिनमें और भी प्रजातियां खतरे में हैं. ऐसे में संरक्षणवादियों को चिंता है कि यदि कोई कार्रवाई नहीं की गई तो कुछ एक वर्ष के भीतर अन्य प्रजातियां भी विलुप्त हो सकती हैं. यही वजह है कि अब आकाश में मच्छर छोड़ने की तैयारी है. हर सप्ताह एक हेलीकॉप्टर 2.5 लाख नर मच्छरों को प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जीवाणु के साथ हवाई राज्य में छोड़ा जाता है जो बर्थ कंट्रोल के रूप में कार्य करता है. बताया जा रहा है कि अब तक आकाश में एक करोड़ से ज्यादा मच्छरों को छोड़ा जा चुका है.

यह भी पढ़ें: Sri Lanka: श्रीलंका ने दिल खोलकर की भारत की तारीफ, दोनों देशों के बीच कई प्रस्तावों पर चर्चा!

Latest News

UP News: अन्नदाताओं के परिवहन का खर्च बचने के साथ ही बिचौलियों के चंगुल से भी किसान रहे मुक्त

Varanasi News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य देने के साथ ही, किसानों...

More Articles Like This