International Women’s Day: आज यानी 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. महिलाओं के अधिकारों, उनकी उपलब्धियों और समाज में उनके योगदान के लिए इस दिवस को मनाया जाता है. आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही है. एक समय था जब महिलाओं को मतदान तक का अधिकार नहीं था. हालांकि अब महिलाओं को मतदान का अधिकार मिलने की वजह से अब महिलाओं से जुड़ें मामलों पर भी खास ध्यान रखा जाता है. बात करें महिलाओं को सबसे पहले वोटिंग का अधिकार देने वाले देश की तो यह न्यूजीलैंड है.
साल 1893 में न्यूजीलैंड ने पहली बार महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया. महिलाओं को मतदान का अधिकारी देना एक महत्वपूर्ण कदम था, जो न केवल महिलाओं के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक नए युग की शुरुआत थी. साथ ही महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों को सम्मान मिला.
महिलाओं ने उठाई आवाज
बता दें कि महिलाओं के लिए वोटिंग का अधिकार प्राप्त करने के संघर्ष का इतिहास बहुत लंबा और कठिन था. 19वीं शताब्दी में महिलाओं को समाज में केवल घरेलू कार्यों तक सीमित रखा गया था. उनका कोई अधिकार नहीं था, न तो शिक्षा के क्षेत्र में और न ही राजनीति में. लेकिन वक्त के साथ, महिलाओं ने अपनी स्थिति में सुधार के लिए आवाज उठानी शुरू की. महिलाएं अपने अधिकारों के लिए संगठित होनी लगीं, और उन्हें यह महसूस हुआ कि वे समाज के समान हिस्सेदार हैं और उन्हें भी अपने देश के भविष्य के बारे में निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए.
न्यूजीलैंड ने दिया मतदान का अधिकार
न्यूजीलैंड में महिलाओं के मतदान अधिकार के लिए संघर्ष की शुरुआत 19वीं शताब्दी के लास्ट में हुई. न्यूजीलैंड में महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू हुआ था. इस संघर्ष में कैटरीना स्टीवंस और एमिली सॉकर जैसी महिला नेताओं ने प्रमुख भूमिका निभाई थी. ये महिला नेता महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष कर रही थीं और इस आंदोलन को “सफ्रिजेट मूवमेंट” के तौर पर जाना जाता है. इस संघर्ष ने धीरे-धीरे सरकार और समाज के अंदर महत्वपूर्ण बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाए. आखिरकार, न्यूजीलैंड के तत्कालीन पीएम रिचर्ड सोडेन के नेतृत्व में 19 सितंबर 1893 में महिलाओं को वोटिंग का अधिकार देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया.
महिलाओं ने शांतिपूर्वक चलाया आंदोलन
यह आंदोलन एक प्रेरणादायक उदाहरण बना, जिसने बाद में दूसरे देशों को भी महिलाओं को राजनीतिक अधिकार देने के लिए प्रेरित किया. इन महिलाओं ने अपने आंदोलन को बिना हिंसा और संघर्ष के, शांति से चलाया. कठिन संघर्ष और विभिन्न आंदोलनों के बाद न्यूजीलैंड में 1893 में महिलाओं को वोटिंग का अधिकार मिला. यह घटना न केवल न्यूजीलैंड के लिए, बल्कि दुनियाभर के लिए ऐतिहासिक थी.
इस अधिकार को पाने के लिए कई सालों तक महिलाओं ने लगातार संघर्ष किया, और अंत में उनकी मेहनत सफल हुई. न्यूजीलैंड ने यह कदम उठाकर अन्य देशों को दिखाया कि महिलाओं को उनके अधिकार देना समाज की प्रगति के लिए जरूरी है.
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