संयुक्त राष्ट्र में पहली बार मनाया गया ‘विश्व ध्यान दिवस’, श्री श्री रविशंकर ने प्रतिभागियों को किया संबोधित

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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United Nation: संयुक्त राष्ट्र में शुक्रवार को पहली बार विश्व ध्यान दिवस (World Meditation Day) मनाया गया. भारत के स्थायी मिशन ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में प्रथम विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर ‘वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए ध्यान’ का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग, अवर महासचिव अतुल खरे और कई अन्य अधिकारी शामिल रहे.

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में मुख्य भाषण आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने दिया. इसके साथ ही उन्‍होंने कार्यक्रम के दौरान 600 से अधिक उत्साही प्रतिभागियों को एक विशेष ध्यान सत्र भी दिया. इतना ही नहीं, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने अपने मुख्य भाषण में ध्यान से जुड़े कई लाभों और आयामों पर भी प्रकाश ड़ाला.

आंतरिक शांति का साधन है ध्यान

यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने वेलकम स्पीच देकर सभी का स्‍वागत किया. इस दौरान उन्‍होंने ध्यान की प्राचीन भारतीय प्रथा के महत्व को व्यक्तिगत पूर्ति और आंतरिक शांति के साधन के रूप में रेखांकित किया, जो वसुधैव कुटुम्बकम-संपूर्ण विश्व एक परिवार है के सभ्यतागत सिद्धांत पर आधारित है. साथ ही उन्‍होंने विश्व ध्यान दिवस पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में योग और ध्यान के बीच संबंध को स्वास्थ्य और कल्याण के पूरक दृष्टिकोण के रूप में स्वीकार किया गया है.

करुणा और सम्मान पैदा करता है ध्यान

वहीं, महासभा के अध्‍यक्ष फिलेमोन यांग ने कहा कि ध्यान लोगों के प्रति करुणा और सम्मान पैदा करता है. जबकि अपर महासचिव व अतुल खरे ने मानसिक स्वास्थ्य और ध्यान के बीच अंतर्निहित संबंध और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों पर ध्यान के गहन प्रभाव को रेखांकित किया.

21 दिसंबर को घोषित किया गया विश्व ध्यान दिवस

बता दें कि इसी साल 6 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित करते हुए प्रस्ताव पारित किया था. हालांकि इस प्रस्‍ताव को अपनाने में भारत की अहम भूमिका थी. वहीं, इस प्रस्‍ताव को अपनाने का मुख्‍य उदे्श्‍य शांति, शांति और समग्र मानव कल्याण को बढ़ावा देने के महत्व को उजागर करता है और वो भी उस वक्‍त जब दुनिया संघर्ष और पीड़ा का सामना कर रही है.

साल का सबसे शुभ समय

दरअसल, 21 दिसंबर को शीतकालीन सत्र होता है. भारतीय परंपरा में उत्तरायण की शुरुआत शीतकालीन संक्रांति से होती है, ऐसे में साल के इस दिन को काफी शुभ माना जाता है, खासतौर पर ध्यान और आंतरिक चिंतन के लिए… वहीं, इसके ठीक छह महिने बाद 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पड़ता है, जो कि ग्रीष्मकालीन संक्रांति होती है.

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