Zimbabawe: अरब के कई देशों में एक ओर जहां धड़ल्ले से मौत की सजा सुना दी जाती है, वहीं दूसरी ओर दुनिया के कई देश अब इससे किनारा कर रहे हैं. दुनियाभर के कई हिस्सों में अपराधियों को मौत की सजा देने को लेकर बहस चल रहा है.
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मृत्युदंड की सजा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है. तो वहीं, अब एक ऐसा देश सामने आया है जिसने अपने यहां सजा-ए-मौत के प्रावधान को खत्म ही कर दिया है. अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिणी भाग में स्थित जिम्बाब्वे में अब किसी भी शख्स को मृत्युदंड नहीं मिलेगा.
कानून को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
जिम्बाब्वे में मौत की सजा के प्रावधान को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है. मंगलवार, 31 दिसंबर को आधिकारिक रूप से मौत की सजा खत्म कर दी गई. यहां के राष्ट्रपति एमर्सन मनंगाग्वा ने इस हफ्ते मृत्युदंड को खत्म करने के कानून के प्रावधान को मंजूरी दी. आखिरी बार जिम्बाब्वे में किसी कैदी को लगभग दो दशक पहले मौत की सजा दी गई थी. इस वजह से ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा था कि जिम्बाब्वे मृत्युदंग को खत्म करने का कदम उठा सकता है.
राष्ट्रपति एमर्सन को भी सुनाई गई थी मौत की सजा
जानकारी दें कि जिम्बाब्वे के वर्तमान राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा को भी कभी मौत की सजा सुनाई गई थी. देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान साल 1960 के दशक में उन्हें ये फांसी की सजा सुनाई गई थी. एमर्सन का जन्म साल 1942 में हुआ था. वह उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलन का हिस्सा बने था, जिस वजह से उन्हें दस साल जेल में भी रहना पड़ा. वर्तमान में वह 2017 से जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति के पद पर कार्यरत हैं.
60 कैदियों को सुनाई गई है मौत की सजा
फिलहाल, जिम्बाब्वे में करीब 60 कैदी ऐसे हैं, जिन्हें फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है. लेकिन अब नए कानून के तहत सभी को बख्श दिया जाएगा. बता दें कि जिम्बाब्वे में आखिरी बार किसी को साल 2005 में फांसी की सजा दी गई थी. मृत्युदंड को खत्म करने के पीछे के एक कारण ये भी बताया जा रहा है कि यहां एक समय पर कोई भी सरकारी जल्लाद यह काम करने के लिए तैयार नहीं था.
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