loco pilot: उड़ीसा के बालेश्वर में हुए ट्रेन हादसे में 288 यात्रियों की मौत से सबक लेते हुए रेलवे अपनी सुरक्षा-संरक्षा को और मजबूत कर रहा है. ट्रेन के संचालन में लोको पायलट की जिम्मेदारी अहम होती है. हजारों यात्रियों की जान की जिम्मेदारी उन्हीं पर होती है.
ट्रेन का संरक्षित तरीके से संचालन हो, इसके लिए…
ट्रेन का संरक्षित तरीके से संचालन हो, इसके लिए लोको पायलटों को ड्यूटी के दौरान कुछ निर्देशों का पालन करना होगा. वह ड्यूटी के दौरान तंबाकू का सेवन नहीं कर सकेंगे. ऐसा आदेश इसलिए दिया गया है ताकि वह सिग्नल पर नजर बनाए रखें और सुरक्षा में कोई चूक ना हो जाए.
इसके लिए उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के प्रयागराज मंडल के वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (यातायात) द्वारा पत्र जारी किया गया है. पत्र में कहा गया है कि हाई स्पीड ट्रेनों का संचालन कर रहे लोको पायलट विशेष तौर पर तंबाकू उत्पादों का सेवन ना करें.
एनसीआर प्रशासन अपने सभी लोको पायलटों की सूची तैयार कर रहा है. इस सूची में यह भी लिखा जा रहा है कि कौन सा लोको पायलट तंबाकू का इस्तेमाल कर रहा है और कौन सा नहीं. तंबाकू के अलावा किसी भी तरीके के नशे से लोको पायलट को दूर करना इस निर्देश का उद्देश्य है.
उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल के इस पहल के बाद दूसरे जोन व दूसरे मंडल भी यह प्रक्रिया अपने यहां अपनाएंगे. मौजूदा समय में प्रयागराज में 48, कानपुर में 61 और टूंडला 60 ऐसे लोको पायलट चुने गए हैं, जिनसे तंबाकू व अन्य नशीले पदार्थों के उपयोग को लेकर बातचीत हुई है. इनसे पूछा जा रहा है कि क्या तंबाकू आदि के सेवन करने से उनका काम प्रभावित होता है या वह अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने में मदद ले पाते हैं.
रेल प्रशासन बातचीत व जांच के आधार पर यह भी पता लगा रहा है कि तंबाकू आदि के इस्तेमाल से लोको पायलट का कार्य कितना प्रभावित हो रहा है.
सामान्यता देखा जा रहा है कि पान मसाला, गुटका का इस्तेमाल बड़ी संख्या में लोग करने लगे हैं. रेलकर्मी व लोको पायलट भी उसी श्रेणी में शामिल हो रहे हैं. रेलकर्मी तंबाकू या ऐसे उत्पादों को खाना छोड़ते हैं तो क्या उनका कार्य प्रभावित होता है, इस पर भी अध्ययन किया जा रहा है.
उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय बताते हैं कि रेल प्रशासन अपने सभी कर्मचारियों की पूरी सूची बनाकर रखता है. लोको पायलट भी उसमें शामिल है. सूची में यह तथ्य भी होते हैं कि संबंधित व्यक्ति कहीं तंबाकू या अन्य उत्पादों का सेवन करने का आदी है या नहीं.
मूलतः शराब जैसे नशीले पदार्थों का सेवन ना करें, इसके लिए ट्रेन पर जाने से पहले ही लोको लाबी आदि में इसका निरीक्षण होता है, जांच होती है. पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही लोको पायलट को ड्यूटी पर भेजा जाता है.
यह एक तरह से रूटीन का निरीक्षण और कार्य है. इस समय ट्रेनों की स्पीड लगातार बढ़ रही है. रेल नेटवर्क पूरी तरह से स्वचालित सिगनलिंग प्रणाली से लैस हो रहे हैं.
ऐसे में लोको पायलटों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि लगभग हर 25 सेकेंड में लोको पायलट को सिग्नल देखना होता है. ऐसे में तंबाकू या इस तरह के उत्पादों के सेवन के दौरान चूक होने की भी संभावना होती है. इसे देखते हुए एहतियातन नियमित होने वाले निरीक्षण व निर्देशों का और कड़ाई से पालन कराया जाएगा.