UP सरकार की इस अनोखी पहल से गांवों में गूंजेगा संगीत, रोज बजेगा ढोलक, झाल और घुंघरू

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Uttar Pradesh Government: उत्तर प्रदेश सरकार स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक अनोखी पहल की शुरुआत करने जा रही है. ग्राम पंचायत स्तर पर स्थानीय लोक कलाओं एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के ठीक ढंग से संचालन, प्रशिक्षण और गुरू शिष्य परम्परा को बनाये रखने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार संस्कृति विभाग के माध्यम से ग्राम पंचायतों को वाद्ययंत्र खरीदने के लिए धनराशि मुहैया करायेगी. प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों को एक सेट वाद्ययंत्र खरीद के लिए संसकृति विभाग 30 हजार रूपये की धनराशि अनुदान के रूप में प्रदान किया जायेगा. इस वाद्यंत्र के एक सेट में हारमोनियम, ढोलक, झांल, मंजीरा, करताल और घुंघरू शामिल होंगे.

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने दी जानकारी-
प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह निर्णय संस्कृति विभाग ने प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को जीवित बनाये रखने के लिए लिया है. जयवीर सिंह ने कहा कि एक सेट वाद्ययंत्र की धनराशि 30 हजार से अधिक होने पर संस्कृति विभाग 15 हजार रूपये तक का अधिकतम अनुदान संबंधित ग्राम पंचायत को मुहैया करायेगा. शेष धनराशि संबंधित ग्राम पंचायत स्वयं वहन करेगा. वाद्ययंत्रों को उपलब्ध कराये जाने संबंधित कार्य योजना के संबंध में प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन मुकेश कुमार मेश्राम की ओर से आवश्यक शासनादेश जारी कर दिया गया है.

मुकेश मेश्राम ने कहा कि लोक कलायें हमारी समृद्ध संस्कृति का अटूट हिस्सा रही हैं. ग्रामीण अंचलों में लोक कला एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के सुचारू रूप से संचालन के लिए वाद्ययंत्रों की अहम भूमिका होती है.

विलुप्त होती लोक कलाओं को बचाने की पहल-
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि लोक कलाओं एवं कलाकारों को संरक्षण प्राप्त न होने से बहुत सी लोक कलायें और वाद्ययंत्र विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गये हैं. ऐसे हालात में लोक कलाओं और वाद्ययंत्रों का अस्तित्व बनाये रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अनुदान की व्यवस्था की गयी है.

प्रथम चरण में प्रत्येक जनपद की 50 ग्राम पंचायतों का होगा चयन
संस्कृति विभाग की इस पहल से प्रथम चरण में जिलाधिकारी प्रत्येक जनपद के उन 50 ग्राम पंचायतों को चिन्हित करेंगे. जहां सांस्कृतिक गतिविधियॉ निरन्तर संचालित की जा रही हैं. ऐसी ग्राम पंचायतों का चयन कर जिलाधिकारी संस्कृति विभाग उ0प्र0 को इसकी संस्तुति के लिए भेजेंगे. जिलाधिकारी से पर्याप्त आवेदन प्राप्त न होने की दशा में जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद के माध्यम से अग्रसारित आवेदन पत्र सीधे स्वीकार किये जायेंगे. सर्वप्रथम भजन कीर्तन मण्डली/गुरू शिष्य परम्परा, स्थानीय लोकगीत, लोकनृत्य, भजन, संस्कार गीत, नुक्कड़ नाटक आदि सांस्कृति कार्यक्रमों का संचालन करने वाली ग्राम पंचायतों को अनुदान दिये जाने में प्राथमिकता दी जायेगी.

वाद्ययंत्रों पर अंकित होगा संस्कृति विभाग उ0प्र0 का नाम-
पर्यटन मंत्री ने बताया कि वाद्ययंत्रों के सेट पर संस्कृति विभाग उ0प्र0 का नाम अंकित कराया जाना अनिवार्य होगा. अनुदान की धनराशि सीधे आवेदक ग्राम पंचायत के खाते में हस्तान्तरित की जायेगी. वाद्ययंत्रों के रख-रखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायत की होगी.

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