Sawan 2023: भगवान शिव का पवित्र माह सावन शुरू हो चुका है. महादेव को प्रसन्न करने के सावन का सोमवार सबसे उत्तम दिन माना गया है. विधि विधान के साथ सावन में भगवान शंकर की पूजा भक्त करते हैं. पुराणों और धर्म शास्त्रों में सावन सोमवार व्रत का महत्व भी बताया गया है. वहीं, पुराणों में इस बात का जिक्र है कि भगवान शिव को इस पावन महीने में बेलपत्र अर्पित करना चाहिए.
वहीं, विभिन्न शास्त्रों में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के कुछ खास नियम दिए गए हैं. हर एक शिव भक्त को इसका पालन जरूर करना चाहिए.क्या है इसके पीछे के मुख्य कारण और शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने के क्या हैं सही नियम, इसके बारे बड़ा पंचायती उदासीन अखाड़ा के महंत बजरंग मुनी ने जानकारी दी. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा.
क्या है शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने का सही नियम
कैसे चढ़ाएं शिवलिंग पर बेलपत्र
सावन के इस महीने में भोलेनाथ को पूजा करते समय हमेशा उल्टा बेलपत्र चढ़ाना चाहिए. यानी चिकनी सतह वाला भाग शिवलिंग पर स्पर्श कराते हुए बेलपत्र चढ़ाना चाहिए. इस बात का खास ध्यान रखें कि बेलपत्र हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से बीच वाली पत्ती को पकड़कर चढ़ाना चाहिए.
भूलकर भी ऐसे न चढ़ाएं बेलपत्र, देखें वीडियो
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बेलपत्र होता है शुद्ध
मान्यता है कि बेलपत्र कभी भी अशुद्ध नहीं होता. महादेव को पहले चढ़ाया गया बेलपत्र दोबारा धोकर चढ़ाया जा सकता है. अगर आप शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ा रहे हैं, तो महादेव को बेलपत्र के साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं.
शिवलिंग पर कितना बेल पत्र चढ़ाएं?
आपको बता दें कि महादेव की पूजा करते समय बेलपत्र की संख्या कितनी होनी चाहिए. इस बात की सही जानकारी होना चाहिए. सावन के महीने में बेलपत्र आसानी से उपलब्ध होता है. अगर आपको शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना है, तो आप 11, 21, 51 या 101 बेलपत्र महादेव को चढ़ा सकते हैं. सब कुछ आपकी भक्ति पर निर्भर करता है. भोलेनाथ तो भाव के है, जो जैसे पूज ले. महादेव को एक बेलपत्र भी खुश हो जाते हैं.
ऐसे बेलपत्र चढ़ाने से है मनाही
महादेव को बेलपत्र बहुत पसंद है, लेकिन उन्हें बेलपत्र चढ़ाने से पहले ये जरूर देख लें कि बेलपत्र कहीं कटा-फटा तो नहीं है. बेलपत्र की 3 पत्तियां ही महादेव को अर्पित की जाती है. खंडित बेलपत्र भगवान शिव को न चढ़ाएं.
दिनों के हिसाब से तोड़ें बेलपत्र
आपको बता दें कि ऐसे कुछ दिन है, जिस दिन बेलपत्र तोड़ना वर्जित माना गया है. जैसे कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. इसलिए पूजा से एक दिन पहले ही बेलपत्र तोड़कर रख लेना चाहिए.