Dog Attack: कुत्तों के हमले से बच्ची की मौत, हाईकोर्ट ने 6.5 लाख के मुआवजे का दिया आदेश

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Bilaspur High Court News: उत्तर प्रदेश समेत देश भर में कुत्तों के अटैक के मामले सामने आते रहे है. इसमें कई बच्चों और बड़ों की मौतें भी हुईं हैं. कुत्तों से अटैक से हुई मौत को लेकर कई सामाजिक संगठनों ने आवाज उठाई, लेकिन न सरकार ने सुना न कोई प्रभावी एक्शन किया गया. लगभग 6 साल पहले कुत्ते के हमले से मासूम बच्ची की मौत हो गई थी. इस मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने बच्ची की मौत के मामले में 6.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है.

आपको बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक ये पैसे बच्ची के पिता को सरकारी खजाने से दिया जाएगा. जानकारी के मुताबिक मामला 2018 का है, जब बिलासपुर में कुत्ते के हमले में बच्ची की मौत हो गई थी.

जस्टिस पार्थ ने सुनाया फैसला
दरअसल, मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की एकल न्यायाधीश पीठ ये फैसला सुनाया. सुनवाई करते हुए उन्होंने कहा कि कुत्ते के काटने पर व्यक्ति को अधिक पीड़ा होती है. सुनवाई में आवारा कुत्ते के अटैक से बच्ची को होने वाले असहनीय दर्द, पीड़ा, मानसिक पीड़ा को समझने के लिए रिट याचिका के साथ तस्वीरें भी संलग्न थीं. ताकि बड़ी आसानी से उसकी पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सके.

जानिए क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि ये घटना 22 मार्च 2018 की है. जब याचिकाकर्ता की बेटी पर आवारा कुत्ते ने हमला किया था. कुत्ते ने ये हमला तब किया जब वह स्कूल से घर लौट रही थी. कुत्ते के हमले से बच्ची के चेहरे और सिर पर बहुत गंभीर चोटें आईं थी. आनन फानन में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहीं, चिकित्सकों के प्रयास के बावजूद बच्ची ने 6 अप्रैल 2018 को दम तोड़ दिया. इसके बाद याचिकाकर्ता मृतक बच्ची के पिता ने अप्राकृतिक के लिए सरकारी राहत कोष से मुआवजे के लिए आवेदन किया. इसके बाद उस आवेदन को खारिज कर दिया गया. बताया गया कि राजस्व पुस्तक परिपत्र आरबीसी के तहत ऐसे मामले में मुआवजा का कोई प्रावधान नहीं है, जहां आवारा कुत्ते के हमले से मौत हुई हो.

पीड़ित पिता ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
मुआवजे का आवेदन खारिज होने से व्यथित होकर पिता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसके लिए याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की, जिसमें मुआवजा देने की प्रार्थना की. इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए याचिकाकर्ता ने बच्ची का रेबीज पोस्ट एक्सपोजर उपचार कार्ड और चिकित्साधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र संलग्न किया. साथ ही अपनी बेटी की कुछ तस्वीरें भी संलग्न की, जो हमले के ठीक बाद की ली गई थीं. इन तमाम चीजों पर गौर करने के बाद न्यायालय ने मुआवजा देने का आदेश दिया है.

तस्वीरों पर कोर्ट ने क्या कहा?
मामले में कोर्ट ने कहा, “संलग्न तस्वीर उसे लगी चोटों की सीमा और प्रकृति को प्रतिबिंबित करेगी और दिखाएगी. याचिकाकर्ता की बेटी को लगे घाव भयानक हैं. इसमें कोई विवाद नहीं है. तस्वीर में दिख रहे घाव किसी आवारा कुत्ते के काटने की वजह से लगे हैं. चूंकि सरकारी अधिकारियों ने ये रुख अपनाया कि आवारा कुत्तों के हमले से होने वाली मौतों के लिए मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है. अदालत को ये तय करना पड़ा रहा है कि क्या इस संबंध में कोई औपचारिक प्रावधान न होने के बावजूद इस मामले में मुआवजा दे सकता है.

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जानिए फैसले के पीछे किन दो मामलों को बनाया गया आधार
हाईकोर्ट ने कहा, “किसी बच्चे की असामयिक और अप्राकृतिक मृत्यु को पैसे के रूप में महत्व नहीं दिया जा सकता अथवा मुआवजा नहीं दिया जा सकता है. क्योंकि ये माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए एक शाश्वत दुःख है. इस तरह की हानि निश्चित रूप से मानसिक पीड़ा और आघात का कारण बनेगी.” इसके बाद बेंच ने समान मुद्दे वाले कोर्ट के 2 समान मामलों पर भरोसा किया. ये वाद थे- शोभा राम बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य 2018, का मामला. कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन दिव्या वर्मा की मौत मामले में छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य के 2017 के मामले में कोर्ट ने आवारा कुत्तों के हमले के शिकार लोगों के परिजनों को मुआवजा देने का आदेश दिया था.

इसके बाद जस्टिस साहू ने सीजी राज्य बनाम भैया लाल गोंड (2023) मामले में न्यायालय के हालिया फैसले पर भरोसा किया. इसमें कहा गया था, ‘कानून के उपरोक्त प्रस्ताव को लागू करते हुए हमारी राय है कि जब मौत आवारा कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज संक्रमण के कारण होती है. ये सख्त दायित्व या कोई दोष नहीं दायित्व के दायरे में आएगा और आदेश की व्याख्या करेगा. राज्य जो जंगली जानवरों के हमलों में मृत्यु, अपंगता और चोट के लिए नि:शुल्क मुआवजा देता है. उसे आवारा कुत्तों की घटनाओं पर भी लागू किया जा सकता है. जब मौत आवारा कुत्ते के काटने से होती है.”

तमाम मामलों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने कहा- मौजूदा मामले में कोर्ट ने याचिका पर विचार करते हुए मुआवजा के रूप में 6 लाख 50 हजार की राशि देना उचित समझा. ये राशि 3 माह में भुगतान करने का आदेश दिया गया है.

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