Nuh Violence: हिंसा न जाने क्यों किसी के सुख का कारण बन जाता है और कुछ लाभ का कारण. अब हिंसा से किसका फायदा हो सकता है? ये समझना उतना मुश्किल नहीं, जितना मुश्किल ये सवाल है. देश के अलग-अलग जगहों पर मुहर्रम के दौरान और उसके बाद से हिंसा की खबरें आ रही हैं और हिंसा आमतौर पर धार्मिक कार्यक्रम के दौरान ही भड़कता है. समस्या ये है कि हमारे देश में मजबूत संविधान होने के बाद भी राजनितिक लाभ के लिए हजारों के जीवन से खेला जाता है. कुछ लोग कहते हैं कि नेता धार्मिक भावनाओं को हिंसात्मक भावनाओं में बदलने के लिए कानून, कोर्ट और संविधान का अपमान करते हुए ऐसे बयानबाजियां करते हैं, जो नफरत को जन्म देता है और ये नफरत हिंसा में बदल जाती है.
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क्या आप उन नेताओं को दोषी मानते हैं या हिंसा करने वालों को? साहब दोषी तो वो है, जो इन नेताओं को बढ़ावा देता है. दोषी तो वो है जो इन नेताओं के बयाओं को कैमरे पर कैद करके जनता के बिच परोसता है. दोषी तो वो है जिसके पास इन नेताओं से सवाल पूछने की हिम्मत नहीं होती और लाखों लोगों के खून से सने उन पैसों से देश के साथ गद्दारी करता है. बता दें कि हरियाणा के मेवात जिले के नूंह में सोमवार को विश्व हिंदू परिषद और मातृशक्ति दुर्गा वाहिनी की तरफ से निकाली जा रही ब्रजमंडल यात्रा के दौरान बवाल हो गया. दो गुटों में टकराव के बाद पथराव और आगजनी की खबर है. उपद्रवियों ने कई गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया. पुलिस पर भी पथराव किया गया. गुरुग्राम पुलिस के डीसीपी वीरेंद्र बिज के मुताबिक नूंह में हो रहे बवाल के बीच दो होमगार्ड जवानों की मौत हो गई है. वहीं, 7 पुलिसकर्मी जख्मी हैं.
लेकिन, हरियाणा के नूंह की हिंसा ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. ये हिंसा कैसे हुई? माहौल क्या था? योजना क्या थी? सुरक्षा का इंतज़ाम क्या था? हिंसा का असली दोषी कौन है? अभी मणिपुर में हिंसा की आग शांत नहीं हुई है. बताया जा रहा कि मणिपुर में एक अफवाह फैली कि एक समुदाय ने दुसरे समुदाय की औरतों के साथ बलात्कार कर दिया, फिर क्या था अफवाह पर लोगों ने भरोसा कर लिया और हत्या, आगजनी के साथ ही ऐसी घटना को अंजाम दे दिया, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया. हरियाणा के नुह की तस्वीर से हिंसा के प्रायोजित होने की बू आती है.
अब सवाल है कि हिंसा शुरू कैसे हुई?
इस हिंसा में एक नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है. वो नाम मोनू मानेसर. मोनू मानेसर का पूरा नाम मोहित है. वह मानेसर का रहने वाला है. पिछले 10-12 साल से बजरंग दल से जुड़ा है. वह पिछले कुछ सालों से गौ तस्करों से मुठभेड़ में मुख्य चेहरे के तौर पर सामने आया है. मोनू पर युवक को गोली मारने का भी आरोप लग चुका है. मोनू काउ प्रोटेक्शन टास्क फोर्स का भी सदस्य है. काश की मोनू महिलाओं की रक्षा भी प्राथमिकता से करता. काश की मोनू भारत के संविधान पर विश्वास भी श्रद्धा से करता, काश की मोनू हिन्दू धर्म ग्रंथों और वेदों का अध्यन भी प्राथमिकता से करता.
लेकिन, अफ़सोस मोनू तो “अफवाह यूनिवर्सिटी” का छात्र निकला. दरअसल हरियाणा के भिवानी के लोहारू में 16 फरवरी यानी गुरुवार को जली हुई एक बोलेरो कार में दो कंकाल मिले थे. मरने वालों की पहचान नासिर (25) और जुनैद (35) के रूप पर हुई. दोनों राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले थे. परिजन ने नासिर और जुनैद के अगवा होने की शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा था कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दोनों का भरतपुर से अपहरण किया. इस मामले में पुलिस ने बजरंग दल और गौ रक्षा दल के मोनू मानेसर सहित पांच लोगों पर मामला दर्ज किया था.
दावा है कि जुनैद और नासिर की हत्या का मामला गौ तश्करी से जुड़ा था. दरअसल, जुनैद पर गौ तस्करी के 5 मामले दर्ज थे. जबकि नासिर का कोई क्राइम रिकॉर्ड नहीं मिला था. आरोपी मोनू मानेसर के समर्थन में हरियाणा में महापंचायत बुलाई गई थी. इस महापंचायत में कहा गया था कि ‘पुलिस अगर मोनू के गांव गई तो अपने पैरों पर वापस नहीं जाएगी.’ वहीं, एसीपी हरिंदर कुमार ने कहा था, अगर जरूरी हुआ तो पुलिस निश्चित रूप से गांव में दाखिल होगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को ब्रजमंडल यात्रा नूंह के नल्हड़ शिव मंदिर से फिरोजपुर-झिरका की तरफ रवाना हुई थी. जैसे ही यात्रा तिरंगा पार्क के पास पहुंची, वहां एक समूह के लोग पहले से जमा थे. आमने-सामने आते ही दोनों पक्षों में तकरार हो गई. देखते ही देखते पथराव शुरू हो गया. कुछ गाड़ियों में आगजनी की भी खबर है. शोभायात्रा मे चल रही पुलिस स्थिति को संभालने की कोशिश कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, नूंह के मोनू मानेसर व उसके बजरंग दल से जुड़े साथियों पर कई लोगों की जान लेने का आरोप है. उसने कुछ दिन पहले वीडियो वायरल किया था और उसने खुले तौर पर चुनौती दी थी कि वह यात्रा के दौरान मेवात में रहेगा. जिस पर इलाके के लोगों ने भी पलटवार किया था.
क्षेत्र का माहौल पहले से ही गर्म था. बताया जा रहा है कि कुछ भीड़ ने मोनू मानेसर और उसके साथियों को शोभायात्रा के दौरान देख लिया. इसके बाद नूंह शहर के पास गुरुग्राम-अलवर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जमकर बवाल हुआ. इस भीड़ का भी जवाब नहीं. महात्मा गाँधी ने कहा था कि “आँख के बदले आँख का सिद्धांत सारी दुनिया को अंधा कर देगा”. लेकिन इन्हें महात्मा गाँधी के सिद्धान्तों से क्या मतलब. इन्हें उन हजारों जरुरतमंदों से क्या मतलब जो रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं. इन्हें देश के कानून से क्या मतलब? इस घटना में जितना दोषी मोनू है. उतना ही दोषी ये भीड़ है.
हिंसा में क्या क्या हुआ ?
विश्व हिंदू परिषद ने सोमवार को बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा का आयोजन किया, जिसे भाजपा जिलाध्यक्ष गार्गी कक्कड़ ने गुरुग्राम के सिविल लाइंस से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यात्रा के साथ पुलिस की एक टुकड़ी तैनात की गई थी. पुलिस ने कहा कि यात्रा को नूंह के खेड़ला मोड़ के पास लोगों के एक समूह ने रोक दिया और जुलूस पर पत्थर फेंके गए. कुछ ही देर बाद कारों में भी आग लगा दी गई. खबरों के अनुसार, यह झड़प बल्लभगढ़ में बजरंग दल के एक कार्यकर्ता द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक आपत्तिजनक वीडियो के कारण शुरू हुई थी.
खबरें थीं कि मोनू मानेसर के यात्रा में शामिल होने की अफवाह फैलने के बाद हिंसा भड़की. मोनू पर दो मुस्लिम व्यक्तियों की हत्या का मामला दर्ज किया गया था. जिनके जले हुए शव फरवरी में भिवानी जिले में पाए गए थे. हालांकि, मोनू ने दावा किया कि उन्होंने वीएचपी की सलाह पर यात्रा में भाग नहीं लिया. क्योंकि उनकी उपस्थिति से तनाव पैदा होने की आशंका है. हिंसा में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. दो होमगार्ड नीरज और गुरसेवक की मौत हो गई. एक नागरिक की भी जान गई है.
बाकी घायल पुलिसकर्मियों को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ले जाया गया. घायलों में होडल के पुलिस उपाधीक्षक सज्जन सिंह के सिर में गोली लगी. जबकि एक इंस्पेक्टर के पेट में गोली लगी. कुछ ही देर बाद नूंह की हिंसा सोहना तक फैल गई. गुरुग्राम में हिंसक प्रदर्शन के दौरान पथराव, नारेबाजी और आगजनी की घटनाएं सामने आईं. हिंसक घटनाओं के मद्देनजर गुरुग्राम और नूंह में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई. हरियाणा सरकार ने कहा, नूंह जिले में बुधवार, 2 अगस्त तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं.
गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, राज्य सरकार ने पड़ोसी जिलों से अतिरिक्त बल नूंह भेजा है. उन्होंने कहा कि वे हेलिकॉप्टरों का उपयोग करके सेना भेजने की कोशिश कर रहे हैं. नूंह के एक शिव मंदिर में शरण लेने वाले करीब 2,500 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को पुलिस ने बाहर निकाला. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शांति की अपील की. उन्होंने कहा, दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इस हिंसा ने एक बार फिर देश को शर्मिंदा कर दिया है और उन व्यक्तियों, नेताओं और संस्थानों के खाते में अक्षम्य पाप को जमा कर दिया. ये एक ऐसा पाप है कि यमराज भी ऐसे लोगों को दुबारा धरती पर भेजने से घबरा जायें. लोगों का कहना है कि इस मामले का न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और निवेदन है कि समाजहित में धर्म या जाति आधारित हिंसात्मक विचारधारा वालों को मानसिक रोगी घोषित कर उन्हें उनके उचित स्थान पर पहुंचा देना चाहिए.