Jwala Devi Mandir: भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां लाखों मंदिर हैं. ये मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं. कई ऐसे मंदिर भी हैं, जो सनातन धर्म के देवी देवताओं से भी जुड़ाव रखते हैं. हम आपके लिए एक ऐसे ही मंदिरों की सीरीज लेकर आए हैं. इसमें हम आपको प्रतिदिन अनोखे मंदिर, पर्वत समेत दूसरी रहस्यमयी चीजों से रुबरु कराते हैं. आज हम आपको एक अनोखे मंदिर के बारे में बताएंगे. यहां सदियों से 9 प्राकृतिक ज्वालाएं जल रही हैं. आइए हम आपको बताते है ज्वाला देवी मंदिर के रहस्य और अनकहे सच के बारे में.
जलती हैं रहस्यमयी ज्वालाऐं
हिमाचल प्रदेश के इस मंदिर में महाभारत काल से ही 9 प्राकृतिक ज्वालाएं जल रही हैं. ये ज्वालाएं आजतक कैसे जल रही हैं, ये आज भी रहस्य है. इसका रहस्य जानने के लिए पिछले 7 दशकों से भूगर्भ वैज्ञानिकों ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया, आज भी इस ज्वाला के रहस्य तक नहीं पहुंच पाए. बता दें कि पृथ्वी से नौ अलग-अलग जगहों से ज्वाला निकल रही है, जिसके ऊपर मंदिर बना दिया गया है. श्रद्धालु इन्हें अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी, महाकाली माता मानकर पूजन करते हैं. बताया जाता है कि राजा संसारचंद ने 1835 में इस मंदिर का निर्माण कराया था.
ऐतिहासिक मान्यता रखता है यह मंदिर
ये मंदिर ऐतिहासिक मान्यता भी रखता है. कहा जाता है कि बादशाह अकबर अपनी लाख कोशिशों के बाद भी इस ज्वाला को बुझाने में नाकामयाब रहा था. उसने मंदिर में जल रही लौ को बुझाने के लाखों जतन किए, लेकिन उसकी सभी कोशिशें नाकाम हुईं. अंत में देवी के इस चमत्कार के आगे अकबर को झुकना पड़ा था. अकबर ने देवी के चमत्कार से खुश होकर वहां स्वर्ण छत्र चढ़ाया था, लेकिन वो सोने का छत्र गिर कर किसी अन्य धातु में परिवर्तित हो गया. वो धातु क्या है ये आज तक किसी को पता नहीं चल पाया.