Ajab Gajab News: चूहों से अक्सर लोग परेशान रहते हैं और उन्हें पकड़ने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. कोई रैट किलर यूज करता है तो कोई चूहेदानी का इस्तेमाल करता है जो कि आराम से 100-200 रुपए के अंदर हो जाता है. लेकिन उत्तर रेलवे के लखनऊ डिवीजन ने चूहों को पकड़ने के लिए कुछ अनोखा काम किया है. रेलवे स्टेशन और प्लेटफार्म पर अक्सर मोटे-मोटे चूहे दिख जाते हैं. रेलवे ने इन चुहों को पकड़ने के लिए क्या कदम उठाए हैं ये सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. रेलवे इन चूहों से इतना परेशान हो गया कि इन्हें पकड़ने के लिए 3 साल में 69 लाख रुपए खर्च कर दिए हैं. इस बात का खुलासा चंद्रशेखर गौर की RTI में हुआ है.
एक चूहे को पकड़ने में खर्च किए 41 हजार रुपए
आपको बता दें कि उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल ने 69 लाख की बड़ी रकम खर्च करके महज 168 चूहों को ही पकड़ा है. RTI में हुए खुलासे के मुताबिक, यह रकम पिछले तीन सालों में खर्च की गई. चंद्रशेखर गौर ने बताया कि हर साल लखनऊ मंडल ने चूहों को पकड़ने पर 23.2 लाख रुपए खर्च किए. एक चूहे को पकड़ने में 41 हजार रुपए खर्च किए गए हैं.
चूहों को पकड़ने का अभियान
वहीं, रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार, चूहा पकड़ने का ठेका सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को दिया गया था. इसके बाद कंपनी द्वारा बकायदा चूहों को पकड़ने का अभियान चलाया गया था. इस दौरान लगभग 1095 दिन में अधिकारियों ने 168 चूहे पकड़ कर अपनी बहादुरी साबित की. बता दें, ठेका कंपनी ने एक चूहा पकड़ने में करीब साढ़े छह दिन का समय लगाया. आपको बता दें कि उत्तर रेलवे की लखनऊ डिवीजन ने ही RTI के सवालों का यह जवाब दिया था.
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