Lucknow: लखनऊ की सड़क पर दौड़ रही ‘देसी जगुआर’ का धमाल, कार देख रतन टाटा भी खा जाएंगे चक्कर

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Lucknow News: कभी-कभी सड़क पर चलते समय हमें कुछ ऐसी चीजें नजर आ जाती हैं, जिससे गाड़ी में ब्रेक लग जाता है या अगर पैदल चल रहे हों, तो कुछ पल के लिए रुक जाते हैं. आज कुछ ऐसा ही हुआ. रविवार का दिन था और सुबह में चाय की तलाश में राजधानी लखनऊ की सड़क पर सहकर्मियों के साथ निकला. तभी अचानक योजना भवन के ठीक सामने देसी जगुआर कार के दर्शन हुए. इस देसी जगुआर कार को देखकर रतन टाटा तो क्या आप भी चक्कर में पड़ जाएंगे. अभी हमने इस अजब गजब जुगाड़ गाड़ी की कुछ तस्वीरें ही ली थी, कि तब तक कार के मालिक कार को वहां से लेकर रवाना हो गए.

दरअसल, हम भारतीय जुगाड़ करने में तो महारथी होते हैं. आमतौर पर छोटे जिलों में डग्गामार वाहन नजर आ जाते हैं. वहीं कुछ लोग पुरानी गाड़ी या कार को मॉडिफाई कराकर नया रूप देते हैं. ऐसे में यूपी की राजधानी लखनऊ में एक ऐसी कार है, जो काफी चर्चा में है.

देसी जगुआर गाड़ी का नंबर भी गलत?
आपने आमतौर पर देखा होगा किसी भी कार के चारों पहिए बराबर होते हैं, लेकिन इस कर के आगे के दो पहिए छोटे और पीछे के दो पहिए बड़े थे. स्थानीय लोगों की माने तो मारुति 800 कार को मॉडिफाई करके देसी जगुआर बनाई गई है. गाड़ी के अंदर की सीट भी बदली गई है. साइलेंसर भी अलग से लगाया गया है. इस देसी जगुआर गाड़ी का DAJ नंबर 4351 है. जब इस नंबर को चेक किया गया, तो ऑनलाइन कोई डिटेल नहीं मिली, तो क्या ये नंबर प्लेट भी गलत है. हालांकि ये जांच का विषय है.

जानिए जुगाड़ से कैसे बनी देसी जगुआर
देसी जुगाड़ करके गाड़ी को मॉडिफाई करने के लिए हीरो होंडा टू व्हीलर के इंडिकेटर चाइनीस फ्लैशलाइट का प्रयोग किया गया है. देसी गाड़ी को जगुआर का नया रूप देने के लिए सामान्य तौर पर गाड़ियों में प्रयोग होने वाली फ्लोर अल्युमिनियम शीट का प्रयोग किया गया है. गाड़ी के फ्रंट लुक की बात करें तो बोनट के ऊपर जगुआर का मैटेलिक लोगो भी लगाया गया है. कार के आगे और पीछे की तरफ ऑरेंज कलर से अंग्रेजी में जगुआर लिखा हुआ है. इसके अलावा बोनट पर नीले रंग से हमरहेड लिखा गया है.

गाड़ी के फ्रंट ग्लास पर लगा जगुआर का लोगो
गाड़ी के फ्रंट ग्लास पर लगी विंडशील्ड पर भी जगुआर का लोगो चिपकाया गया है. जुगाड़ से गाड़ी में स्टेयरिंग और साइड मिरर भी लगाया गया है. गाड़ी के पीछे की तरफ इंडिकेटर की जगह हीरो होंडा पैशन, स्प्लेंडर और राजदूत का इंडिकेटर और जुगाड़ से साइलेंसर भी लगाया गया है. पीछे की रियर नंबर प्लेट के ठीक नीचे गाड़ी का मॉडिफिकेशन करने वाली शॉप का नाम ‘पार एक्सीलेंसी बालाजी मोटर्स’ लिखा था. जब हमने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि लखनऊ के हजरतगंज की है, जो गाड़ियों के मॉडिफिकेशन का काम करती है. ये उसी का कारनामा है. हालांकि, जुगाड़ वाली जगुआर को लेकर ये सवाल खड़ा हो रहा हैं कि इस कार पर जगुआर का लोगो लगाना कितना सही है.

पड़ताल में मिली ये जानकारी
जब हमने नंबर प्लेट से गाड़ी के मालिक के बारे में ऑनलाइन पड़ताल करना शुरु किया, तो कोई डिटेल नहीं मिली. फिर हमने मारुती 800 कार को मॉडिफिकेशन करने वाली शॉप का पता किया. ऑनलाइन पड़ताल में पता चला कि लखनऊ के हजरतगंज में नवल किशोर रोड पर एक बालाजी मोटर्स नाम की शॉप है, जो पुरानी गाड़ी को नया लुक देने का काम करते हैं. हमने ऑनलाइन शॉप का नंबर निकाल कर बतौर ग्राहक कॉल किया, तो पता चला कि ये मुजस्मा इन्हीं का है. ऐसे में सवाल ये है कि पुरानी गाड़ी का मॉडिफिकेशन करना कितना सही है. क्या इस गाड़ी में सेफ्टी पैरामीटर का ध्यान रखा गया है या नहीं.

गाड़ी के मॉडिफिकेशन का ये है नियम
इस मामले में ट्रैफिक पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक पुरानी गाड़ी के मॉडिफिकेशन के लिए एआरटीओ से परमिशन लेनी होती है. 15 साल पुरानी कार का फिजिकल फिटनेस कराना होता है. वाहन की हेल्थ के मुताबिक 4-5 साल के लिए इसे रिन्यू किया जाता है. अगर किसी गाड़ी का मॉडिफिकेशन होता है, तो सेफ्टी नॉर्म्स समेत कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है. किसी दूसरी कंपनी का लोगों लगाना गलत है. जानकारी के मुताबिक यूपी की सड़कों पर 15 साल से अधिक पुराने वाहन नहीं दौड़ेंगे. यूपी में एक अप्रैल से कबाड़ नीति लागू हो गई है. इसके बाद 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप करना होगा. अगर आप 15 साल पुरानी कार या वाहन को कबाड़ सेंटर पर बेचते हैं, तो इसकी कीमत लगभग 22 रुपये प्रति मिल सकती है.

ऐसा पाए जाने पर चालक के डीएल पर 10,000 तक का चालान कर गाड़ी को सीज करने या डिसमेंटल करने का प्रावधान है. फिलहाल, देखना ये है कि लखनऊ पुलिस ऐसे वाहन, उसके मालिक और मॉडिफिकेशन करने वाली दुकानों पर क्या एक्शन करती है. ऐसा इसलिए क्योंकि मामला यूपी के किसी छोटे जिले का नहीं बल्कि राजधानी लखनऊ का है, जहां सेफ्टी नॉर्म्स और यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते ऐसे वाहन नजर आ रहे हैं. ये भारी भरकम वाहन सड़क पर चलती फिरती मौत से कम नहीं है. इस भारी भरकम देसी जगुआर के वजन के चलते ब्रेक फेल होने, आग लगने समेत तमाम तरह के खतरे हैं. इससे जान माल का नुकसान हो सकता है.

देसी जगुआर देख रतन टाटा पीट लेंगे माथा
आपको बता दें कि जगुआर कार्स लिमिटेड को जगुआर के रूप में जाना जाता है. ये एक ब्रिटिश लगजरी कार निर्माता है, इसका मुख्यालय कॉवेंट्री, इंग्लैंड में है. यह मार्च 2008 से भारतीय कंपनी टाटा मोटर्स लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और व्यापार जगुआर लैंड रोवर व्यवसाय के रूप में संचालित है. हाल ही में टाटा समुह के पूर्व अध्यक्ष दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा को महाराष्ट्र सरकार ने देश और राज्य में उद्योग के विकास में बड़ी भूमिका निभाने के लिए उद्योग रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया है, लेकिन टाटा मोटर्स लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी का ‘देसी जगुआर’ वाला मॉडल देख वो भी सिर पीट लेंगे. देखना ये है कि यूपी पुलिस इस मामले में क्या करती है.

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