यूपी की इस मीनार पर चढ़ने वाले भाई-बहन बन जाते हैं पति-पत्नी, जानिए इस अजब-गजब मीनार की कहानी

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Jalaun Lanka Minar: यूपी में तरह तरह की धरोहरें आज भी मौजूद हैं. सभी की अलग-अलग कहानियां और किंवदंतियां हैं. उत्तर प्रदेश में एक ऐसी मीनार है, जिसको लेकर बड़ी अजब-गजब कहानी है. दरअसल, जालौन (Jalaun) में दशानन रावण को समर्पित लंका मीनार (Lanka Minar) है. मीनार को लेकर ये धारणा प्रचलित है कि इसपर चढ़ने वाले भाई-बहन पति-पत्नी बन जाते हैं. यही वजह है कि लंका मीनार में भाई-बहन को साथ जाने की मनाही है.

ये जानकर अपको भी अजीब लग रहा हो, मगर स्थानीय लोग इस मान्यता को कई वर्षों से मानते चले आ रहे है. जानकारों की मानें, तो दिल्ली की कुतुबमीनार के बाद ये सबसे ऊंची मीनार है. मीनार का निर्माण कराने वाले को दशानन रावण से ऐसा लगाव था कि उसने मीनार का नाम लंका के नाम से कराया.

मीनार जुड़ी है ये दिलचस्प कहानी
आपको बता दें कि लंका मीनार कालपी में है. मीनार के बनने के पीछे बड़ी दिलचस्प कहानी है. जानकारी के अनुसार मीनार का निर्माण साल 1857 में मथुरा प्रसाद नाम के व्यक्ति ने कराया था. मथुरा प्रसाद खुद बहुत बड़ा कलाकर था. वह रामलीला के मंचन के दौरान रावण का किरदार निभाता था. कहा जाता है कि रावण का पात्र निभाते-निभाते इतना प्रभावित हुआ कि उसने रावण के नाम पर मीनार बनवा डाली. खास बात ये है कि इस मीनार को बनाने में लगभग 20 साल लगे. इस मीनार की ऊंचाई 210 फीट है. तब इसके निर्माण में लगभग 2 लाख का खर्चा आया था.

मीनार को लेकर ये है मान्यता
दरअसल, मीनार के पीछे एक मान्यता भी. कहा जाता है कि यहां भाई-बहन एक साथ ऊपर नहीं जा सकते. इसके पीछे वजह ये बताया जाता है कि मीनार के ऊपर जाने के लिए 7 परिक्रमा पूरी करनी पड़ती है. कोई भाई-बहन ये परिक्रमा नहीं कर सकते. इसी वजह से मीनार पर भाई-बहनों का एक साथ जाना मना है.

मीनार पर बने है ये खास चित्र
आपको बता दें कि इस मीनार में दशानन रावण के पूरे परिवार का चित्र बना हुआ है. खास बात ये है कि यहां कुंभकरण और मेघनाथ की विशालकाय मूर्तियां आज भी मौजूद हैं. कुंभकरण की मूर्ती की बात करें, तो इसकी ऊंचाई 100 फीट है. वहीं, मेघनाथ की मूर्ती की ऊंचाई 65 फीट है. खास बात ये है कि यहां भगवान शिव के साथ चित्रगुप्त की मूर्ति भी हैं. मीनार के पास 180 फीट की लंबी नाग देवता की मूर्ती भी स्थापित की गई है.

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