Miraculous Temple, Kamakhya Devi: भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां लाखों मंदिर स्थित हैं. ये अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं. हम एक ऐसी ही सीरीज लेकर आए हैं जिसमें प्रतिदिन अनोखे मंदिर, पर्वत समेत दूसरी रहस्यमयी चीजों से आपको रुबरु कराते हैं. आज हम आपको 52 शक्ति पीठों में से एक कामाख्या देवी मंदिर के रहस्य के बारे में बताएंगे. आइए आपको बताते हैं इस मंदिर की कहानी और अनकहे सच को.
हर वर्ष रजस्वला होती हैं माता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, असम के नीलांचल पर्वत पर स्थित इस मंदिर में देवी सती का योनि भाग गिरा था. यहां गिरते ही वो एक प्रतिमा में बदल गया था. यह प्रतिमा आज भी मंदिर में स्थित है और हर वर्ष रजस्वला भी होती है. इस दौरान तीन दिन तक मंदिर बंद रहता है. इन तीन दिनों तक गुवाहाटी में कोई मंगल कार्य नहीं होते हैं.
चौथे दिन लगता है अम्बुवाची मेला
चौथे दिन माता की मूर्ति को स्नान कराकर उनकी पूजा की जाती है. इसके बाद मंदिर को पुन: दर्शन के लिए खोल दिया जाता है. इस दौरान यहां अम्बुवाची मेला लगता है. माता के रजस्वला होते ही ब्रह्मपुत्र नदी भी लाल रंग की हो जाती है. यह आज भी रहस्य बना हुआ है.
अनोखे मंदिर का अनोखा प्रसाद
इस अनोखे मंदिर में प्रसाद भी अनोखा मिलता है. अम्बुवाची मेले के दौरान प्रसाद के रुप में लाल रंग का गीला वस्त्र मिलता है. बता दें कि देवी के रजस्वला होने से पहले मुर्ति के पास सूखा सHद कपड़ा बिछाया जाता है. तीन दिन बाद यह सफेद वस्त्र माता की रज के कारण लाल हो जाता है. इसे ही अम्बुवाची वस्त्र कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिव्य वस्त्र को धारण कर शक्ति की उपासना करने से सिद्धी की प्राप्ती होती है.
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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और मंदिर के बारे में प्रचलित किवदंतियों पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)