Geeta Press: केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि 100 सालों से अधिक समय से धार्मिक पुस्तकों को प्रकाशित करने वाले गीता प्रेस को इस साल गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा जाएगा. इस फैसले के बाद तमाम लोगों में खुशी की लहर है. हालांकि इसपर राजनीति भी तेज हो गई. इन सब मुद्दों से इतर एक बात जिसपर विचार करना चाहिए. इतनी बड़ी प्रकाशन संस्था होने के बाद भी गीता प्रेस कभी विज्ञापन नहीं स्वीकार करता है. गीता प्रेस ना तो अपना विज्ञापन कराता है ना ही वो किसी का विज्ञापन करता है.
यह भी पढ़ें- Gandhi Peace Prize 2021: गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार पर गोडसे की चर्चा, क्यों सम्मान स्वीकार धनराशि से इनकार?
क्यों नहीं विज्ञापन स्वीकार करता है प्रेस
गीता प्रेस को लेकर कहा जाता है कि बापू के एक सुझाव के कारण गीता प्रेस ना ही विज्ञापन करता है ना हीं विज्ञापन स्वीकार करता है. कहा जाता है करीब कई सालों पहले महात्मा गांधी ने गीता प्रेस को सुझाव दिया था कि वो व्यापार न करे, बल्कि सेवा पर ही केंद्रित रहें. इस सुझाव के बाद गीता प्रेस ने ना कभी ना कभी विज्ञापन छापा ना कभी विज्ञापन किया. हालांकि इस बात की पुष्टी हम भी नहीं करते हैं. लेकिन कई जानकारों की माने तो यही मुख्य वजह है. जब केंद्र सरकार ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने का ऐलान किया इसके बाद से ही इस बात की चर्चा ने तूल पकड़ लिया है.
पुरस्कार की धनराशि नहीं लेगा गीता प्रेस
गांधी शांति पुरस्कार में तमाम चिन्हों के साथ 1 करोड़ की धनराशि पुरस्कार के तौर पर दी जाती है. हालांकि कोई भी पुरस्कार आज तक गीता प्रेस ने नहीं स्वीकारा है. लेकिन इस बार परम्पका को तोड़ते हुए गीता प्रेस ने फैसला लिया है कि वो तमाम चिन्हों को तो स्वीकारेगा लेकिन धनराशि को नहीं नहीं लेगा. गीता प्रेस ने एक बैठक में ये फैसला लिया है. इसके पीछे तर्क दिया गया कि इससे गीता प्रेस की भी परम्परा नहीं टूटेगी और सरकार की कही हुई बात रखी जाएगी. हालांकि गीता प्रेस को सम्मान देने के फैसले पर देश में राजनीति गर्म है. कांग्रेस ने सरकार पर जमकर प्रहार किया है.
यह भी पढ़ें- UP News: रेल पटरियां नहीं झेल पा रही गर्मी की तपिश, पिघली और फैले ट्रैक से गुजर गई रेल, हादसा टला