नाबालिग बालिका से दुराचार के आरोपी को फांसी की सजा

Must Read

Mathura News: पोक्सो कोर्ट में एक बार फिर इतिहास रचा है. नाबालिग पीड़िता से दुष्कर्म के मामले में विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट जज रामकिशोर यादव की अदालत ने फांसी की सजा व 1 लाख 30 हजार रुपये के अर्थ दंड सुनाया है. इस केस की सरकार की ओर से पैरवी कर रहीं स्पेशल डीजीसी पोक्सो कोर्ट अलका उपमन्यु एडवोकेट ने बताया कि पीड़िता के पिता ने थाना जमुनापार में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि उसकी 9 वर्षीय बेटी तथा बनवारी की 9 वर्षीय भांजी 31 अगस्त 2020 की रात करीब 8 बजे गांव की ही एक दुकान पर सामान लेने गई थी. दोनों बच्चियां कुछ देर तक घर वापस नही लौटी, तो पीड़िता का पिता तथा गांव के कई लोग दोनो बच्चियों को खोजने लगे. करीब 11 बजे बनवारी की भांजी की मां ने बताया कि बनवारी उसकी बेटी को लेकर मेरे घर पर आया है. जब बनवारी से यह पूँछा गया कि मेरी बेटी/पीडिता कहां है, तो बताया कि मुझे नहीं मालूम घर पर ही आ रहा हॅू, लेकिन बनवारी घर पर नहीं आया. इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि बनवारी ने मेरी बेटी को बहला-फुसलाकर अपहरण कर लिया है.

वादी की उपरोक्त तहरीर के आधार पर थाना-जमुनापार, जिला मथुरा पर अभियुक्त बनवारी के विरूद्ध मुकदमा अपराध संख्या 287/2020, अन्तर्गत धारा 363, 366 भारतीय दण्ड संहिता पंजीकृत किया गया था. पुलिस विवेचना में 1 सितम्बर 2020 को ग्राम मावली के जंगलों में पीड़िता का शव बरामद हुआ था. जिसमें पुलिस के द्वारा पीड़िता के साथ बलात्कार के बाद गला घोंटकर हत्या करना आरोपित किया गया था. विवेचना में अभियुक्त बनवारी व अभियुक्ता नीलम को आरोपी मानते हुए धारा 363, 376, 302, 201 भारतीय दंड सहिता व 5/6 पोक्सो एक्ट में मुकदमा परवर्तित हुआ था. मंगलवार को विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट माननीय जज रामकिशोर यादव द्वारा अभियुक्त बनवारी को दोषी मानते हुए धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (यथा संशोधित 2019) के अन्तर्गत मृत्यु दण्ड के दण्ड से दण्डित किया गया है.

अभियुक्त बनवारी को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाये जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाये. इसके अलावा अभियुक्त बनवारी को धारा 363 भारतीय दण्ड संहिता के अपराध में 5 वर्ष के कठोर कारावास एवं बीस के अर्थ दण्ड, धारा-302 भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत आजीवन कारावास (उसके जीवन की अंतिम सांस तक) तथा एक लाख के अर्थदण्ड, धारा 201 भारतीय दण्ड संहिता मृत्यु से दण्डनीय साक्ष्य का विलोपन करने के अपराध में 6 वर्ष के कठोर कारावास एवं दस हजार के अर्थ दण्ड की सजा सुनाई है. मृत्युदण्ड को छोड़कर दी गयी उपरोक्त सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी.

जेल में बिताई गयी अवधि उपरोक्त दण्डादेश में समायोजित की जायेगी. सिद्धदोष बनवारी द्वारा अर्थदण्ड की धनराशि जमा करने पर 80 प्रतिशत धनराशि बतौर प्रतिकर के रूप में मृतका के विधिक प्रतिनिधि उसके माता-पिता को दी जायेगी. पीडिता/मृतका के विधिक प्रतिनिधियो को अन्तर्गत धारा 357 ए दण्ड प्रक्रिया संहिता सपठित धारा-33(8) पोक्सो एक्ट 2012 एवं नियम 9 पोक्सो नियम 2020 मुआवजा प्रदान करने की सिफारिश की गयी है. वहीं अभियुक्ता नीलम को दोष मुक्त कर दिया. वादी की तरफ से सरकार की ओर से स्पेशल डीजीसी अलका उपमन्यु एडवोकेट व निजी तौर पर, अधिवक्ता विजय सिंह चौहान एडवोकेट व अभियुक्त की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता किशन सिंह बेधड़क एडवोकेट ने पैरवी की.

Latest News

LG वी के सक्सेना ने की सीएम आतिशी की जमकर तारीफ, जानिए क्‍या कुछ कहा…

Delhi: "मुझे आज खुशी है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री एक महिला हैं और मैं विश्वास के साथ कह सकता...

More Articles Like This