Hariyali Teej Vrat Katha: हरियाली तीज पर जरुर पढ़ें ये कथा, पूरी होगी हर मनोकामना

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Hariyali Teej Vrat Katha: हिंदू धर्म में सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन सुहागिन स्त्रियां हरियाली तीज का व्रत रखती हैं. हरियाली तीज का व्रत सिर्फ सुहागन महिलाएं ही नहीं, बल्कि कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं. इस दिन महिलाएं विधि विधान से पूजा करने के साथ साथ व्रत को सफल बनाने के लिए हरियाली तीज व्रत कथा भी पढ़तीं या सुनतीं हैं. अगर आपके पास हरियाली तीज व्रत कथा की किताब नहीं है तो चिंता करने की कोई बात नहीं है क्योंकि आज कल हर काम ऑनलाइन हो रहा है इसलिए हम आपके लिए व्रत कथा लेकर आएं है. पढ़िए हरियाली तीज की संपूर्ण कथा…

हरियाली तीज व्रत कथा
एक बार माता पार्वती भगवान शंकर से अपने पूर्वजन्म को जानने की इच्छा प्रकट की इस पर शिव जी ने उन्हें बताया की हे प्रिया! मुझे पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तुमने अन्न-जल त्याग कर सर्दी, गर्मी, बरसात सब कुछ सहकर हिमालय पर कठिन तपस्या की थी. तुम्हें इतना कष्ट सहते हुए देखकर तुम्हारे पिता पर्वतराज हिमालय बहुत चिंतित थे. फिर एक दिन भगवान विष्णु ने तुम्हारी परीक्षा लेने के लिए नारद मुनि को अपने विवाह के प्रस्ताव के साथ भेजा. नारद मुनि ने ये बात तुम्हारे पिता को बताई वो इस बात से बहुत प्रसन्न हुए. और उन्होंने ये प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. नारद मुनि ने ये बात जा कर भगवान विष्णु से बताई.

फिर शिव जी ने कहा की हे प्रिया! लेकिन तुम इस खबर को सुनकर बहुत दुखी हुई. तुमने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और सब कुछ त्याग कर जंगल में जाकर मुझे प्राप्त करने के लिए तपस्या करने लगी. तुम्हारे पिता ये सुनकर बहुत दुखी हुए और चिंतित भी कि यदि इस बीच विष्णुजी बारात लेकर आए तो क्या होगा. फिर तुम्हारे पिता तुम्हें खोजने के लिए धरती पाताल एक कर दिया, लेकिन तुम उन्हें नहीं मिली. तुम एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी पूजा करने में मग्न थी.

तुम्हारी तपस्या से मैं प्रसन्न होकर तुम्हारी मनोकामना पूरी करने का वचन दिया. तुमने पर्वत राज को सारी बाते बताई की तुमने शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए जो तपस्या की थी, वो सफल हो गई. अब आपको मेरा विवाह शिवजी से कराना होगा. पर्वत राज तुम्हारी बात मान गए और उन्होंने हमारा विवाह करा दिया. इसके आगे शिव जी ने कहा की हे पार्वती! हमारा विवाह तुम्हारे कठोर तप का ही फल है. इसलिए जो भी स्त्री इस व्रत को निष्ठापूर्वक करेगी मैं उसे मनवांछित फल दूंगा. और उसका सुहाग तुम जैसा अचल सुहाग होगा.

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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