Somnath Mandir: भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां लाखों मंदिर स्थित हैं, जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं. कई ऐसे मंदिर हैं जो सनातन धर्म के देवी देवताओं से भी जुड़ाव रखते हैं. हम आपके लिए एक ऐसी ही सीरीज लेकर आए हैं जिसमें प्रतिदिन अनोखे मंदिर, पर्वत समेत दूसरी रहस्यमयी चीजों से आपको रुबरु कराते हैं. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिसे कई दफा नष्ट करने का प्रयास किया गया, लेकिन फिर भी कोई उसका अस्तित्व नहीं मिटा पाया. यह मंदिर रहस्मयी होने के साथ-साथ एतिहासिक मान्यता भी रखता है. आइए आपको बताते हैं इस मंदिर की कहानी और अनकहे सच को.
बहुत प्राचीन है सोमनाथ मंदिर
इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर को पहली बार 7,99,25,105 साल पहले बनाया गया था और इसे 17 बार से अधिक आक्रमण झेलना पड़ा. 1024 में महमूद गजनी, 1296 में खिलजी की सेना, 1375 में मुजफ्फर शाह, 1451 में महमूद बेगड़ा और 1665 में औरंगजेब ने इस पर आक्रमण कर इसे नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन इसके अस्तित्व को मिटाने में असर्मथ रहे.
मंदिर के निर्माण का इतिहास विवादित
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर में प्रसिद्ध स्यमंतक मणि शिवलिंग के अंदर सोमनाथ मंदिर में सुरक्षित छिपा हुआ है. स्यमंतक मणि के बारे में कहा जाता है कि इस पत्थर में सोना पैदा करने की क्षमता है. सोमनाथ मंदिर से जुड़ी एक और कथा प्रचलित है कि चंद्रमा के देवता सोम ने श्राप के कारण अपना तेज खो दिया था. तेज वापस पाने का एक ही उपाय था कि उन्हें सरस्वती नदी में स्नान करना पड़ेगा, जिसके बाद वो अपना तेज वापस पा सकेंगे. उन्होंने सरस्वती नदी में स्नान किया और अपने तेज को पुनः प्राप्त किया. इसके बाद चंद्रमा ने अपने आराध्य के लिए मंदिर का र्निमाण कराया. हालांकि मंदिर के र्निमाण का इतिहास विवादित रहा है.