G20 Summit 2023 in Delhi: G-20 सम्मेलन में दुनिया भर में सनातन का प्रचार कर रहीं प्राचीन भारत की ये 10 कृतियां

G20 Summit 2023 in Delhi: भारत अपनी राजधानी दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. दुनियाभर के दिग्गज देशों के प्रतिनिधियों का ताता लगा है. टीवी स्क्रीन पर राष्ट्राध्यक्षों के साथ जी-20 समिट स्थल पर हमारे देश की प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है. इस सम्मेलन में शामिल हुए विदेशी मेहमान भी प्राचीन धरोहरों के साथ तस्वीरें ले रहें हैं. कोणार्क का सूर्य मंदिर, नटराज की मूर्ति, नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर को देखकर यही लग रहा है कि भारत दुनियाभर में सनातन धर्म का प्रचार कर रहा है.

आपको बता दें कि इस इवेंट में उन चीजों को नहीं शामिल किया गया है, जिससे देश की पहचान होती है. जैसे दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक ताजमहल. ऐसा इसलिए, क्योंकि वो सनातन की पहचान नहीं है. इस सम्मेलन में देश का नाम, आयोजन स्थल का नाम, नृत्य संगीत, थीम का नाम कुछ इस प्रकार जोड़ा गया है, जिससे सनातन की झलक जरूर दिखे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तीर से दो निशाना मारा है. दुनियाभर में अपनी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से रूबरू कराने के साथ-साथ जो पार्टियां सनातन का विरोध कर रही थीं, उन्हें भी इसका महत्तव समझा दिया है.

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1- भारत मंडपम: आयोजन स्थल का नाम भी संस्कृत नाम पर ही रखा गया है. दक्षिण भारत में मंदिर में गर्भगृह के आगे वाले भाग को मंडपम कहा जात है. ‘भारत मंडपम’ भगवान बसवेश्वर की ‘अनुभव मंडपम’ की अवधारणा से प्रेरित है, ये हर समारोहों के लिए मंडप हुआ करता था. इसकी अभिकल्पना ‘शंख’ के आकार से ली गई है.
इसकी दीवारों भारतीय कला से डिजाइन की गई हैं. जिनमें ‘सूर्य शक्ति’, ‘जीरो टू ISRO’ और ‘पंच महाभूत’ को शामिल किया गया है. इस मंडपम में पंच महाभूत’ ब्रह्मांड के 5 मूल तत्वों, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को दर्शाया गया है.

2- वसुधैव कुटुंबकम: भारत ने जी20 सम्मेलन का सूचक शब्द वसुधैव कुटुंबकम रखा है. यह शब्द महाउपनिषद से लिया गया है. इसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार की तरह है. वसुधैव कुटुंबकम सार्वभौमिक भाइचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है.

3- कोणार्क का सूर्य मंदिर: लगभग 13वीं शताब्दी में निर्मित कोणार्क के सूर्य मंदिर को सनातन की ग्लोबल पहचान कराने के लिए ब्रैंडिंग की गई है. भारत मंडपम में लगा कोणार्क चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प की उत्कृष्टता का प्रतीक है जिसे अब दुनिया जान सकेगी. मंदिर को सूर्य के विशालकाय रथ की तरह बनाया गया है, जिसे सात घोड़े खींचते नजर आते है. रथ में 12 जोड़े पहिए लगे हैं औप कुल मिलाकर 24 पहिए हैं. ये पहिए जीवनचर्या से संबंधित कई वैज्ञानिक बातें बताते हैं.

4- नृत्य संगीत: जी20 सम्मेलन में शामिल मेहमानों के स्वागत के लिए रखे गए नृत्य संगीत कार्यक्रम में थीम सॉन्ग ‘वसुधैव कुटुंबकम’ पर प्रस्तुति में सनातन की झलक दिखाई गई है. दुनियाभर से भाग लेने वाले कलाकार, संगीतकार ने अपनी पारंपरिक पोशाक में वाद्य यंत्र बजाए. सम्मेलन में सुरबहार, जलतरंग, नलतरंग, विचित्र वीणा, रुद्र वीणा, सरस्वती वीणा, धंगली, सुंदरी, भपंग और दिलरुबा जैसे कई वाद्ययंत्र प्रदर्शित किए गए जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता से ओत-प्रोत थे.

5- नटराज की योग मुद्रा: भारत में सनातन काल से ही शिव की पूजा हो रही है. भारत मंडपम के सामने बना नटराज का स्‍वरूप शिव के आनंद तांडव को दर्शाता है. शिव एक पांव से राक्षस को दबाए हुए हैं जिसका अर्थ बुराई का नाश करना है. शिव अपने नृत्‍य से सकारात्‍मक ऊर्जा के संचार का संदेश देते हैं. नटराज की मूर्ति दक्षिण भारत के कई मंदिरों जैसे थिल्लई नटराज मंदिर, उमा माहेश्वरार मंदिर और बृहदेश्वर मंदिर में स्थापित मूर्तियों से प्रेरणा लेकर बनाई गई है.

6- भारत का नाम: जी-20 सम्मेलन देशों के साथ पीएम के टेबल के आगे रोमन में लिखा हुआ भारत यह संदेश देता है कि दुनियाभर में अब देश का पहचान इंडिया के रूप में नहीं बल्कि सनातन से चला आ रहा नाम भारत से ही होगा.

7- वॉल ऑफ डेमोक्रेसी: वॉल ऑफ डेमोक्रेसी में 5 हजार साल का लोकतांत्रिक इतिहास बताया गया है. यहां लगे 26 स्क्रीन पैनल में अलग-अलग समय की कहानियां दिखाई जा रही हैं. इनमें भारतीय संविधान, वैदिक काल, रामायण, महाभारत, महाजनपद और गणतंत्र, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, लोकतंत्र का दार्शनिक आधार, कृष्णदेव राय, अकबर, छत्रपति शिवाजी के अलावा ऐर भी स्थानीय स्वशासनों को शामिल किया गया है.

8- एआई वाली गीता: देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का स्वागत भारत मंडपम में गीता AI कर रही है. जो आपके हर सवाल का जवाब देगी. हर सवाल का हमारे सनातन काल से चली आ रहे धार्मिक ग्रंथ गीता की शिक्षाओं के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल जवाब देता है.

9- महर्षि: भारत की जी-20 में बाजरे के लिए अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने के मकसद से मोटे अनाज से जुड़ी पहल को महर्षि का नाम दिया है. सनातन संस्कृति सभ्यता में सांसारिक मोहमाया को त्याग कर तपस्या में लीन लोगों को महर्षि की संज्ञा दी जाती रही है.

10- घेरंड संहिता की 32 योग मुद्राएं: भारत मंडपम में प्रवेश करते ही दीवारों पर अंकित विभिन्न योग मुद्राएं देखने को मिलती हैं. दीवारों पर 32 अनिवार्य योग आसन प्रदर्शित किए गए हैं जो घेरंड संहिता के 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के पाठ से लिए गए हैं. संहिता कहती है कि इस जगत में जितने भी प्राणी हैं, उन सभी की सामान्य शारीरिक स्थिति को आधार बनाकर एक-एक आसन की खोज की गई है.

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