Chandrayaan 3: साल 2019 में असफल प्रयास के बाद ISRO ने चंद्रयान-3 में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. पूरी तैयारी को साथ 14 जुलाई 2023 कि चंद्रयान-3 को लॉच किया गया. फिलहाल, चंद्रयान-3 चांद की कक्षा में लगातार चक्कर लगा रहा है. वैज्ञानिकों की मानें, तो 23 अगस्त को इसकी दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जा सकती है.
अब सवाल ये खड़ा हो रहा है कि अगर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर कि तरह चंद्रयान-3 भी सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल रहा तो क्या होगा. इसको लेकर इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने जानकारी दी.
क्या हुआ था चंद्रयान-2 के साथ
आपको बता दें कि साल 2019 में चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी की ऊंचाई पर लैंडर का जमीनी स्टेशनों से संचार बंद हो जाने के बाद इसरो का 978 करोड़ रुपयों का मानवरहित मिशन अपने उद्देश्य में विफल हो गया था.
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने इसके जवाब में कहा, “मान लीजिए कि अगर सेंसर में भी खराबी आई या दो इंजनों में खराबी आई उस केस में भी विक्रम लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा बशर्ते कि प्रोपल्शन में खराबी ना आए. विक्रम लैंडर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि सॉफ्ट लैंडिंग में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी.”
चंद्रयान-3 का बेहद महत्वपूर्ण पल
चंद्रयान-3 कि जानकारी देते हुए ने कहा, “गड़बड़ी के चांस बेहद ही कम हैं. अगर प्रोपल्शन सिस्टम में खराबी ना आए तो सॉफ्ट लैंडिंग में दिक्कत वाली बात नहीं है. चंद्रयान-3 मिशन को लांच वीकल मॉर्क-3 रॉकेट से लांच किया गया था. इस समय चंद्रयान -3 170x 4313 इलिप्टिकल ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है. 9 अगस्त और 17 अगस्त को एक और मैनूवर के जरिए चंद्रयान को 100 किमी की गोलाकार कक्षा में डाला जाएगा. अब तक चंद्रयान-3 का सफर उत्साह बढ़ाने वाला है. जब चंद्रयान-3 चांद से करीब 100 किमी की दूरी पर रह जाएगा वो पल बेहद महत्वपूर्ण है.”
अंत भी अच्छा ही होगा
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 अबतक के ठीक ठाक स्थिती के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि चांद से 100 किमी की दूरी तक किसी तरह की परेशानी वाली बात नहीं है. हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हम लैंडर के पोजिशनिंग का अनुमान कितना सही तरीके से करते हैं. यह अनुमान ही बेहद अहम है. इसे हम ऑर्बिट डिटरमिनेशन प्रासेस कहते हैं. यदि यह सही तरीके से होता तो आगे की प्रक्रिया में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी. इस दफा हम चंद्रयान-3 को कामयाबी के साफ चांद की सतह पर उतारने में कामयाब होंगे. ऑर्बिट में बदलाव तय प्रक्रिया के तहत कामयाबी से हो रही है. किसी तरह का विचलन नहीं है. अभी तक के प्रदर्शन के आधार पर हम कह सकते हैं कि अंत भी अच्छा ही होगा.
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