Manmohan Singh Birthday News: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का आज 91वां जन्मदिन हैं. इस मौके पर डॉ मनमोहन सिंह को देशभर से शुभकामनाएं मिल रहे हैं. ऐसे में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पूर्व पीएम को उनके जन्मदिन के मौके पर बधाई दी. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर ट्वीट कर कहा कि ‘पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं. उन्होंने लिखा कि मैं आपके लंबे और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करता हूं.’
काफी अभावों में गुजरा मनमोहन सिंह का बचपन
आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री का जन्म 26 सितंबर, 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक सिख परिवार में मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था. मनमोहन सिंह ने बेहद कम आयु में अपनी मां को खो दिया. उनकी पूरी देखभाल दादी ने की. मनमोहन सिंह का बचपन का समय बेहद अभावों में गुजरा. लेकिन उन्होंने कभी पढ़ने-लिखने में कोई कोताही नहीं बरती. इसके साथ ही पंजाब में जिस गाह इलाके में मनमोहन सिंह का परिवार रहा करता था, वो पिछड़ा इलाका था. मनमोहन सिंह के गांव में न तो बिजली व्यवस्था थी और न कोई स्कूल था. वो मीलों दूर पैदल चलकर स्कूल पढ़ने जाया करते थे. इसके अलावा वो घर पर किरोसीन से जलने वाले लैंप की रोशनी में उन्होंने अपनी पढ़ाई की.
मनमोहन सिंह के वजह से समाप्त हुआ देश में ‘लाइसेंस राज’
मनमोहन सिंह का देश की दिशा और दशा तय करने में अहम योगदान रहा है. उनके हिस्से कामयाबियों के कई तमगे हैं. 1970 और 1980 में मनमोहन सिंह ने भारत सरकार में कई प्रमुख पदों पर काम किया. उन्होंने प्रधानमंत्री पद संभालने से पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-76), उसके बाद 1982 से लेकर 1985 तक RBI के गवर्नर के तौर पर काम किया. पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह को राजनीति में लाने के पीछे पीवी नरसिम्हा राव का हाथ रहा है. उन्होंने अपनी सरकार में मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाया. भारत में 1991 में वित्तमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की. मनमोहन सिंह के वजह से देश में ‘लाइसेंस राज’ समाप्त हो पाया. डॉ. मनोमहन सिंह फिलहाल में राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं.
मनमोहन सिंह से जुड़ा एक दिलचस्प बात
पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह से जुड़ी एक दिलचस्प बात ये है कि वो हिंदी नहीं पढ़ सकते है. उनके हिंदी के भाषण देखकर आप भी इस बात का अंदाजा लगा सकते है. बताया जाता है कि मनमोहन सिंह को जब हिंदी बोलने की जरूरत होती है तो उन्हें वो बाते उर्दू में लिखकर दिया जाता है. इसके अलावा जब उनको कोई भाषण देना होता है तो वो पहले बाकायदा इसकी प्रैक्टिस करते हैं.