Kuno National Park: दो और चीता शावकों की मौत, जाने क्या बोले एक्सपर्ट

श्योपुर। श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में दो और चीता शावकों की मौत हो गई है। एक शावक की मौत मंगलवार को हुई थी। अब एक ही शावक शेष बचा है। शुरुआती जानकारी में यह बात सामने आ रही है कि इन शावकों की मौत कुपोषण की वजह से हुई है।

मालूम हो कि नामीबिया से 17 सितंबर को भारत लाई गई चीता सियाया उर्फ ज्वाला के चार में से तीन शावकों की अब तक मौत हो चुकी है। इन चार शावकों का जन्म दो महीने पहले मार्च के आखिरी सप्ताह में हुआ था। इन्हें मिलाकर अफ्रीकी देशों से लाए गए चीतों में से अब तक छह की मौत हो चुकी है। इनमे तीन शावक और तीन वयस्क चीता शामिल हैं। अब कूनो नेशनल पार्क में 17 वयस्क चीता और एक शावक जीवित हैं।

अधिकृत जानकारी के मुताबिक, 23 मई को सुबह मादा चीता ज्वाला के एक शावक की मृत्यु हुई। इसके बाद शेष तीनों शावक एवं मादा चीता ज्वाला की पालपुर में तैनात वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम एवं मॉनिटरिंग टीम दिनभर निगरानी करती रही। दिन में चीता ज्वाला को सप्लीमेंट फूड दिया गया। निगरानी के दौरान शेष तीन शावकों की स्थिति सामान्य नहीं लगी। यह भी ध्यान देने योग्य है कि 23 मई को इस ग्रीष्म ऋतु का सर्वाधिक गर्म दिन भी रहा। दिन का अधिकतम तापमान लगभग 46-47 डिग्री सेल्सियस रहा। दिनभर अत्यधिक गर्म हवाएं एवं लू चलती रही।

तीनों शावकों की असामान्य स्थिति एवं गर्मी को देखते हुए प्रबंधन एवं वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर आवश्यक उपचार करने का निर्णय लिया। दो शावकों की स्थिति अत्यधिक खराब होने से उपचार के सभी प्रयासों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। एक शावक गंभीर हालत में गहन उपचार एवं निगरानी में पालपुर स्थित चिकित्सालय में रखा गया। उसका लगातार इलाज किया जा रहा है। उपचार के लिए नामीबिया एवं साउथ अफ्रीका के सहयोगी चीता विशेषज्ञ एवं चिकित्सकों की सलाह ली जा रही है। यह शावक वर्तमान में गहन उपचार में है। उसका स्वास्थ्य स्थिर है। मादा चीता ज्वाला स्वस्थ है, उसकी सतत निगरानी की जा रही है।

कमजोर थे शावक

सभी चीता शावक कमजोर, सामान्य से कम वजन एवं अत्यधिक डिहाइड्रेटेड पाए गए। मादा चीता ज्वाला पहली बार मां बनी है। चीता शावकों की उम्र लगभग 8 सप्ताह है। इस अवस्था में चीता शावक सामान्यतः जिज्ञासु होते हैं। मां के साथ लगातार चलते हैं। चीता शावकों ने अभी लगभग 8-10 दिन पूर्व ही मां के साथ घूमना शुरू किया था। चीता विशेषज्ञों के अनुसार सामान्यतः अफ्रीका में चीता शावकों का जीवित रहने का प्रतिशत कम होता है। स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के अनुसार पोस्टमॉर्टम की कार्यवाही की जा रही है।

अभी सबसे खराब पल आना शेष‌ः विशेषज्ञ

दक्षिण अफ्रीकी वन्यजीव विशेषज्ञ विंसेंट वा डेर मर्वे ने एक इंटरव्यू में कहा कि यदि प्रोजेक्ट चीता को सफल करना है तो भारत को अधिक से अधिक फेंस जंगलों का इस्तेमाल करना होगा। दुनियाभर में किसी जानवर प्रजाति को फिर से बसाने के लिए किए गए प्रयासों में बिना फेंसिंग वाले हैबिबेट में सफलता नहीं मिली है। कुछ महीनों बाद जब चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा और क्षेत्र में कब्जा जमाने के लिए जब उनका बाघों व तेंदुओं से सामना होगा, तब और भी मौतें देखने को मिल सकती है। यानी प्रोजेक्ट चीता का सबसे खराब पल आना अभी शेष है।

Latest News

यूपी को फार्मा हब बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम, UPSIDA और IIT-BHU के बीच हुआ महत्त्वपूर्ण समझौता

उत्तर प्रदेश अब फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भी देश का अग्रणी राज्य बनने की ओर तेज़ी से कदम बढ़ा रहा...

More Articles Like This

Exit mobile version