जानिए ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा बुलंद करने वाले PM की कहानी, सभी के लिए हैं प्रेरणा श्रोत

Lal Bahadur Shastri: आज पूरे देश में बेहद सामान्य घर से देश के शीर्ष नेता तक का सफर तय करने वाले, भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जन्म जयंती मनाई जा रही है. उन्हें उनके नारे “जय जवान जय किसान” के लिए जाना जाता है, जिसे उन्होंने सैनिकों का मनोबल बढ़ाने और कृषि आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए दिया था. उन्होंने भारत के लोगों को कई तरह से प्रेरित किया उनके द्वारा कही गयी कई बातें आज भी युवा पीढ़ी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. आइए बताते हैं उनके मुगलसराय से ताशकंद तक का सफर.

लाल बहादुर शास्त्री का प्रारंभिक जीवन
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में एक गरीब परिवार में हुआ था. उनका असली नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था. उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माँ का नाम रामदुलारी देवी था. उनका बचपन गरीबी और आभाव में बीता. उन्हें अपना और अपनी शिक्षा का खर्च उठाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी. इसके बावजूद भी उन्होंने काशी विद्यापीठ से स्नातक की डिग्री प्राप्त कर अपनी शिक्षा पूरी की.

भारतीय राजनीति में लाल बहादूर शास्त्री
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में लाल बहादुर शास्त्री ने अहम भूमिका निभाई थी. आजादी की लड़ाई के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा. आजादी के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार में पुलिस और परिवहन मंत्री के पद का कार्यभार संभाला, लेकिन कुछ समय बाद किन्हीं कारणवश उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात 9 जून 1964 को सर्वसम्मति से लाल बहादुर शास्त्री को भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बना दिया गया. प्रधानमंत्री के रुप में उनका कार्यकाल लगभग डेढ़ साल का ही रहा. उस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और भारत में भोजन की कमी शामिल थी. लेकिन इन चुनौतियों को उन्होंने बड़ी हिम्मत और सुझबुझ से निपटाया. ना ही वो पाकिस्तान के आगे झुके और ना तो अमेरिका से मदद के लिए गुहार लगाई.

‘मैं जनता का सेवक क्या शुट में शोभा दूंगा!’
जब अमेरिका ने भारत को गेहूं देने से मना कर दिया था, उस वक्त उन्होंने भारत की जनता से एक वक्त का उपवास, रखने की अपील की थी. उनके सहयोग के लिए भारत के लोगों ने एक वक्त के उपवास के साथ ही अपने घर के आंगन में भी गेहूं उगाया था. कहा जाता है कि लाल बहादुर शास्त्री ने कभी भी अपने निजी कार्य के लिए किसी भी सरकारी सुविधा का इस्तेमाल नहीं किया था. वो भारत के एक मात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनके पास केवल दो वस्त्र थे. कपड़े फट जाने पर वो उन्हें सिल कर पहना करते थे.

जब ताशकंद समझौते में उन्हें शामिल होना था तब उन्हें भारत के एक उद्योगपति ने शूट गिफ्ट करने को कहा था. उन्होंने उसे साफ इंकार करते हुए कहा था, “मैं उस भारत का प्रधानमंत्री हूं, जहां कि ज्यादातर जनता के पास दो वस्त्र भी नहीं हैं. इसके बावजूद मैं जनता का सेवक क्या शूट में शोभा दूंगा?”

ताशकंद में हो रहा था समझौता
1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच अप्रैल से 23 सितंबर तक 6 महीने का भीषण युद्ध चला था. इसके बाद जनवरी, 1966 में भारत-पाकिस्तान के नेता ताशकंद में शांति समझौते के लिए इकट्ठा हुए थे. पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति अयूब खान वहां गए थे. जबकि भारत का नेतृत्व तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किया था. 10 जनवरी को दोनों देशों के बीच शांति समझौता हो गया था. कहा जाता है समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उनके ऊपर भारी दबाव था.

पाकिस्तान को हाजी पीर और ठिथवाल वापस देने के कारण उनकी भारत में काफी आलोचना की जा रही थी. इस दौरान ताशकंद में ही अचानक उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु किस कारण हुई ये आज भी रहस्य बना हुआ है.

नहीं कराया गया शव का पोस्टमार्टम
हालांकि, जब उनका पार्थिव शरीर भारत लाया गया था, तब उनका शव नीला पड़ा था. इसके बाद लोगों ने आशंका जताई थी कि शायद उनके खाने में जहर मिला दिया गया था. वहीं, उनकी मौत का कारण हार्टअटैक भी बताया जाता है. बता दें, लाल बहादुर शास्त्री के शव का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया था. अगर उनके शव का पोस्टमार्टम कराया जाता तो शायद उनकी मौत की असली वजह सामने आ सकती थी, लेकिन एक प्रधानमंत्री की अचानक मृत्यु हो जाने के बाद भी उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया जाना हमेशा खटकता है.

जांच के दौरान निजी डॉक्टर और सहायक की मृत्यु
इसके बाद सरकार द्वारा शास्त्री की मौत पर जांच के लिए एक जांच समिति का गठन भी हुआ. लेकिन इस दौरान उनके निजी डॉक्टर आरएन सिंह और निजी सहायक रामनाथ की मौत अलग-अलग हादसों में हो गई. खास बात यह थी कि ये दोनों लोग शास्त्री के साथ ताशकंद के दौरे पर गए थे. उस समय माना गया था कि इन दोनों की हादसों में मौत से यह केस काफी कमजोर हो गया था. इस कारण से उनकी मृत्यु की असली वजह आजतक संदिग्ध बनी हुई है.

देश के लिए लाल बहादुर शास्त्री जी के अहम कार्य
अपने शासनकाल में लाल बहादुर शास्त्री ने कई अहम कार्य किए. देखा जाए तो शास्त्री भारत के पहले आर्थिक सुधारक थे. अपने कार्यकाल में उन्होंने परमाणु बम परियोजना शुरू की. भारत में हरित और श्वेत क्रांति की शुरुआत भी उन्होंने ही की. दूध के व्यापार से उन्होंने भारत को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया. भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने देश का नेतृत्व किया. इसके साथ ही उन्होंने सैनिकों और किसानों के मनोबल बढ़ाने के लिए ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा भी दिया.

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