Odisha Train Tragedy: ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में अब तक 278 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक 101 शवों की पहचान नहीं हो पाई है। हावड़ा एडीएम जितिन यादव ने बताया कि शवों की पहचान में हमें सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ शवों पर कई पक्ष दावे कर रहे हैं। हालांकि, भुवनेश्वर AIIMS का कहना है कि उन्होंने इस परेशानी के समाधान के लिए डीएनए सैंपलिंग शुरू कर दी है। 10 डीएनए सैंपल्स दावा कर रहे परिवारों से लिए गए हैं।
इतने महीने तक सुरक्षित रहेंगे शव
AIIMS के डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ. प्रवास त्रिपाठी ने बताया कि 278 शवों में से 177 को पहचान के बाद उनके परिजनों को सौंप दिया है। हमें 123 शव मिले थे। इनमें से 64 शवों को परिजनों को सौंप दिया गया है। अभी 101 शवों की पहचान नहीं हो पाई है। शव खराब न हो, इसलिए शवों को पांच अलग-अलग कंटेनर में रखा गया हैं, जिससे शव लंबे समय तक खराब नहीं होंगे। अब शव छह महीने तक सुरक्षित रहेंगे, इसलिए शवों के अंतिम संस्कार के लिए जल्दबाजी की आवश्यकता नहीं है।
युवक ने लगाया आरोप
एम्स प्रशासन पर आरोप लगाते हुए झारखंड के एक युवक ने कहा कि सोमवार को हमने उपेंद्र कुमार शर्मा के लाश की पहचान की थी। इसके बावजूद उन्होंने मंगलवार को शव किसी और को सौंप दिया। जब शव दूसरों को ही देना है तो डीएनए सौंपलिंग की आवश्यकता क्या है। मैंने टैटू के आधार पर उपेंद्र की पहचान की थी। इन आरोपों का जवाब देते हुए डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही शवों को सौंपा जा रहा है। हां, यह सच है कि एक शव पर कई परिवार दावे कर रहे हैं, इसलिए हम डीएनए सैंपलिंग कर रहे हैं। रिपोर्ट आने में करीब 7 से 8 दिनों का समय लग जाएगा।
सबसे अधिक मृतक हैं इन राज्यों के
पश्चिम बंगाल और ओडिशा प्रशासन ने साथ मिलकर एम्स भुवनेश्वर में हेल्पडेस्क की शुरुआत की है। एक अधिकारी ने बताया कि अधिकतर पीड़ित पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा राज्य के रहने वाले थे। वहीं, सीबीआई, रेलवे सुरक्षा कमिश्नर और जीआरपी ने ट्रेन हादसे की जांच शुरू कर दी है। खुर्दा डीआरएम रिंकेश रॉय को आशंका है कि उपकरणों के साथ छेड़छाड़ की गई है, जिस वजह से इतना बड़ा हादसा हो गया।