भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेंद्र राय ने महाकवि नीरज से हुई अपनी मुलाक़ात को किया याद, सुनाई वह कविता जिसने बदल दिया उनका जीवन

महाकवि गोपालदास नीरज फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में बुधवार को काव्यांज्जलि सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में दिल्ली हाई कोर्ट के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. वहीं ट्रस्ट के संरक्षक और भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन, एमडी व एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने भी समारोह में शिरकत की. इस समारोह में अभिनेता अन्नू कपूर को गोपालदास नीरज सम्मान-2023 से सम्मानित किया गया. भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेंद्र राय ने अभिनेता राजपाल यादव को भी शॉल ओढ़ाकर और मोमेंटो देकर सम्मानित किया. इस मौके पर अपने संबोधन में भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन उपेंद्र राय ने साल 2010 में इंदौर में हुई गोपालदास नीरज से अपनी मुलाकात का जिक्र किया.

वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय ने कहा, “11 फरवरी की तारीख थी. भरोसा पत्रकार सम्मान के तहत हमें और जावेद अख्तर साहब को एक ही ट्रॉफी शेयर की गई थी. तब मैं सहारा न्यूज नेटवर्क में सीईओ, एडिटर-इन-चीफ के पद पर कार्यरत था. तब का दिन था और उनके महाप्रयाण तक, मैं निरंतर उनके संपर्क में बना रहा. मृगांक की नियुक्ति सहारा टीवी चैनल में उसी रात को हुई थी जब महाकवि से मेरी मुलाकात हुई थी. तब से शशांक और मृगांक मेरे साथ जुड़े हुए हैं और मैं इस परिवार का हिस्सा हूं.”

भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेंद्र राय ने कहा, “पिछले वर्ष जब शशांक और मृगांक ने कहा कि भैया, आपको पिताजी का अपार स्नेह मिलता रहा, हम चाहते हैं कि नीरज फाउंडेशन ट्रस्ट का जिम्मा आप ही संभालें. मैंने कहा कि ये मेरे लिए गौरव की बात होगी. तमाम काम हम लोग करते रहते हैं लेकिन ये काम आत्मा को सुकून देने वाला होगा. पिछले वर्ष महाकवि नीरज सम्मान मुझे मिला और इस साल ये पुरस्कार बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार अन्नू कपूर को मिला. अन्नू कपूर जी जब बोल रहे थे तो एक बात मेरे मन में आई…फिराक गोरखपुरी साहब की दो लाइनें याद आईं… ‘आने वाली नस्लें तुम पर रश्क करेंगी हमअस्रों, जब ये ख्याल आयेगा उनको, तुमने फ़िराक़ को देखा था…’ ये बात अन्नू कपूर जी पर बिल्कुल फिट बैठती है.”

उपेंद्र राय ने आगे कहा, “मैं पिछले साल नवंबर में अपने पत्रकारिता के 25 साल पूरे किए. जब भी मंचों पर कवियों को सुना, मैंने एक चीज हमेशा अनुभव किया कि असली युवा एक कवि ही होता है. वह कभी बूढ़ा नहीं होता है. शरीर से जवान होना एक अलग बात है, शरीर से जवान होते हुए भी मन से बूढ़े होते मैंने बहुत लोग देखे हैं. लेकिन शरीर से बूढ़े होते हुए भी मन से जवान इतने लोग देखे हैं और उनसे इतना प्रभावित रहा हूं कि मेरे पास शब्द नहीं बताने के लिए. भारत एक ऐसा देश है जहां किनारे पड़े पत्थर पर सिंदूर लगाकर रख दिया जाए तो लोग वहां सिर झुकाना शुरू कर देते हैं. जिस तरह से आदमी और पत्थर का रिश्ता हो जाता है, ठीक उसी तरह से ये जो पूरा ब्रह्मांड है… जिस तरीके से ये सारी चीजें जुड़ी हुई हैं, कुछ भी अलग नहीं है, सबकुछ जुड़ा हुआ है.”

भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेंद्र राय ने कहा, “महाकवि की एक कविता आज मैं अवश्य सुनाऊंगा जिसने मेरे जीवन को बदलने का काम किया. ये कविता NCERT की आठवीं के सिलेबस में थी लेकिन पता चला कि इसे अब हटा दिया गया है. इतनी महान कविता को हटाने वालों ने क्यों हटाया, ये मुझे नहीं पता. ये कविता मेरे जीवन में मील का पत्थर है और हमेशा रहेगी जब तक मैं जिंदा रहूंगा. ये कविता है…

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है.

सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है.

माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है.”

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