नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने संसद भवन की नई ईमारत के उद्घाटन को लेकर जारी विवाद से संबंधित जनहित याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से ही इनकार कर दिया। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि यह याचिका क्यों दाखिल हुई। ऐसी याचिकाओं को देखना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है।
कोर्ट ने पूछा कि इस याचिका से किसका हित होगा? इस पर याचिकाकर्ता सटीक जवाब नहीं दे पाए। याचिका में शीर्ष अदालत से नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने का निर्देश लोकसभा सचिवालय को देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि लोकसभा सचिवालय का बयान और लोकसभा के महासचिव का उद्घाटन समारोह के लिए जारी निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है।
किसने दायर की थी याचिका?
यह जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने दाखिल की थी। इसमें कहा गया कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं कर भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है। संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोकसभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है। ऐसे में संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए।