सैम पित्रोदा के बयान पर भड़की भाजपा, कहा- राहुल गांधी और उनकी पार्टी के नेताओं से यही अपेक्षा…प्रियंका चतुर्वेदी ने भी बताया गलत

Sam Pitroda China Statement: इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के बयान ‘चीन को दुश्मन नहीं समझना चाहिए’ पर शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने असहमति जताई है.

न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “सैम पित्रोदा ने जो कहा है, वह कहीं न कहीं गलत बयान है. चीन अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करता रहा है. उसने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख जैसे क्षेत्रों पर बार-बार अतिक्रमण किया है. राहुल गांधी ने पहले भी इस मुद्दे को उठाया है, इसलिए इस तरह के बयान देना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता पैदा करता है. मुझे विश्वास है कि कांग्रेस, खासकर राहुल गांधी, जिन्होंने हमेशा ऐसे मामलों को उठाया है, इसे गंभीरता से लेंगे.”

उन्होंने कहा कि चीन को लेकर अगर हमारा मतभेद है तो सरकार भी इसे गंभीरता से क्यों नहीं ले रही है.

राहुल गांधी के नेताओं से क्या अपेक्षा की जा सकती है

वहीं सैम पित्रोदा के बयान पर भाजपा प्रवक्ता सरदार आरपी सिंह की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की पार्टी के नेताओं से क्या ही अपेक्षा की जा सकती है.

भाजपा प्रवक्ता सरदार आरपी सिंह ने कहा, “कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और राहुल गांधी से क्या ही अपेक्षा कर सकते हैं. उन्होंने चीन के साथ एक एमओयू साइन कर रखे हैं, इसलिए कांग्रेस के नेता या उनके (राहुल गांधी) जो सलाहकार हैं, उनसे ऐसी ही भाषा की अपेक्षा की जा सकती है.”

चीन हमारा दुश्मन नहीं है

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत में कहा था कि भारत को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है और यह धारणा छोड़ने की जरूरत है कि चीन हमारा दुश्मन है.

उन्होंने चीन को लेकर कहा था कि अब वक्त आ गया है कि देश मिलकर आगे बढ़ें. हमें सीखने, संवाद बढ़ाने और सहयोग करने की जरूरत है. हमें कमांड और कंट्रोल की मानसिकता से बाहर निकलना होगा. पुरानी सोच को छोड़कर नई दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. चीन तेजी से बढ़ रहा है, हमें इसे समझना होगा.

उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी देश आगे बढ़ रहे हैं. कुछ तेज रफ्तार से, तो कुछ धीमी गति से. गरीब देशों को तेजी से आगे आना होगा, जबकि अमीर देशों की वृद्धि धीमी होगी. विकसित देशों में बुजुर्ग आबादी बढ़ेगी, जबकि विकासशील देशों में युवा ज्यादा होंगे. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना जरूरी है.

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