Kanya Kumari Mandir: भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां लाखों मंदिर स्थित हैं, जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं. कई ऐसे मंदिर हैं जो सनातन धर्म के देवी देवताओं से भी जुड़ाव रखते हैं. हम आपके लिए एक ऐसी ही सीरीज लेकर आए हैं जिसमें प्रतिदिन अनोखे मंदिर, पर्वत समेत दूसरी रहस्यमयी चीजों से आपको रुबरु कराएंगे. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं देवी गौरी के कुंवारी रुप के इस रहस्यमयी कन्याकुमारी मंदिर की कहानी और अनकहे सच को.
कन्याकुमारी ने किया बाणासुर का वध
देवी कन्याकुमारी को लेकर मान्यता है कि बाणासुर नाम के एक राक्षस ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे वरदान मांगा, शिव जी ने वरदान दिया कि कुंवारी कन्या को छोड़कर तुम्हें कोई नहीं मार पाएगा. वरदान पाने के बाद से बाणासुर का आतंक बढ़ गया, जिससे देवताओं को चिंता होने लगी और वो भगवान विष्णु के पास गए. तब उन्होंने माता पार्वती से प्रार्थना की कि वो अवतार लें और बाणासुर का वध करें.
ऐसा ही हुआ माता ने अवतार तो लिया, लेकिन शिव से शक्ति कितने समय तक दूर रह सकतीं थी भला. इसलिए माता ने भगवान शिव को पुन: पतिरुप में पाने के लिए माता ने तपस्या शुरु कर दी शिव जी ने प्रसन्न होकर उनसे विवाह का प्रस्ताव मंजूर कर लिया. इधर देवताओं को चिंता होने लगी की अगर माता ने विवाह कर लिया तो बाणासुर का वध कैसे करेंगी. तब देवताओं की प्रार्थना पर देवर्षि नारद ने विवाह के लिए आते हुए भगवान शंकर को रास्ते में ही रोक लिया और विवाह का मुर्हुत टल गया.
कलियुग के बीत जाने पर होगा विवाह
विवाह का मुर्हुत टलते ही इधर देवी फिर तपस्या में लीन हो गईं. इधर बाणासुर ने देवी के सुंदरता की कहानी सुनी और वह देवी के पास गया तथा उनसे विवाह करने का प्रस्ताव रखा. देवी के मना करने पर उसने हठ शुरु कर दिया इसपर गुस्से में आकर देवी ने उसका वध कर दिया. तपस्या टूट जाने के कारण अबतक देवी का विवाह भगवान शिव से नहीं हो पाया वो आज भी कुंवारी हैं. कहा जाता है कि देवी का भगवान शिव के साथ कलियुग के बीत जाने पर विवाह होगा.