Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में लिव इन (Live in Realatinship) में रह रही विवाहिता को कोर्ट ने सुरक्षा देने से मना कर दिया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में एक विवाहिता लिव इन पार्टनर ने रीट याचिका (Writ Petition) दायर की थी, जिसको लेकर के कोर्ट ने ये कहते हुए दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया कि ऐसे जोड़े को पुलिस सुरक्षा देना अप्रत्यक्ष रूप से अवैध संबंधों को बढ़ावा दे सकता है.
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आपको बता दें कि हाई कोर्ट इलाहाबाद के न्यायधीश रेनू अग्रवाल ने सुनीता और एक अन्य की तरफ से याचिका दायर की गई थी. न्यायधीश ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि कोर्ट लिव-इन रिलेशनशिप (Live in Realatinship) के खिलाफ नहीं है, बल्कि अवैध संबंधों के खिलाफ है. कोर्ट ने कहा, ये पार्टियों को इस तरह की अवैधता की अनुमति देना उचित नहीं मानती है, क्योंकि कल याचिकाकर्ता ये बता सकते हैं कि हमने उनके अवैध संबंधों को पवित्र कर दिया है.”
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा
याचिकाकर्ता के तरफ से वकील ने तर्क देते हुए कहा कि सुनीता जो एक वयस्क है, वो अपने पति की कथित यातना के कारण दूसरे याचिकाकर्ता के साथ स्वैच्छिक संबंध में प्रवेश किया. उन्होंने ये दावा कर पुलिस सुरक्षा का अनुरोध किया है कि पति ने उनके लिए खतरा पैदा कर सकता है.
याचिका में महिला ने कोर्ट ने कहा
आपको बता दें कि सुरक्षा के लिए याचिकाकर्ता महिला सुनिता और पार्टनर ने रीट याचिका दायर कर कोर्ट से कहा था कि उसका पति उसके साथ यातनाएं देता है. मैं व्यस्क हूं. मेरे पति से मुझे जान का खतरा है.
जानिए क्यों खारिज हुई याचिका
आपको बता दें कि इस मामले में राज्य सरकार के वकील ने असहमति जताई. उन्होंने तर्क दिया कि अदालत को इस प्रकार के रिश्ते का समर्थन नहीं करना चाहिए. इसके बाद सुरक्षा के लिए दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया.