Nipah Virus in Kerala: दुनिया अभी कोरोना महामारी से धीरे-धीरे उबर रही है, इसी बीच एक और खतरनाक वायरस ने दस्तक दे दी है. केरल में निपाह वायरस तेजी से पैर पसार रहा है. कोझिकोड जिले में 2 लोगों की अप्राकृतिक मौत के बाद जिलों में 3 दिन का अलर्ट जारी किया गया है. साथ ही 7 ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट जोन बनाया गया है. बुधवार को इस वायरस का पांचवां मामला रिपोर्ट किया गया, जिसके बाद बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए सभी शिक्षण संस्थानों को 2 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) द्वारा वायरस से लोगों बचाने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज आज उपलब्ध करा दी जाएगी.
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ही एक मात्र इलाज
केरल के कोझिकोड जिले की कलेक्टर ए गीता ने अगले 2 दिन के लिए सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया है. उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए ये घोषणा की है. कलेक्टर ने कहा कि सभी स्कूल छात्रों के लिए 2 दिनों में ऑनलाइन क्लासेज की व्यवस्था कर सकते हैं. हालांकि, यूनिवर्सिटी के एग्जाम शेड्यूल में किसी भी तरह का बदलाव नहीं होगा. मौजूदा समय में इस खतरनाक निपाह वायरस के संक्रमण का एकमात्र इलाज मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ही है. हालांकि, ये अभी तक चिकित्सकीय रूप से सिद्ध नहीं हो पाया है.
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मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का दिया है ऑर्डर
इस वायरस से सबसे पहले संक्रमित 9 साल के बच्चे की स्थिति काफी गंभीर है. जानकारी के मुताबिक उसके संपर्क में आए 60 लोगों का पता लगा लिया गया है. कोझिकोड के मारुथोंकारा के एक 47 वर्षीय व्यक्ति के 371 संपर्क में आए लोग चिकित्सकों की निगरानी में हैं. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि 9 साल का लड़का कोझिकोड के एक अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर है. उसकी हालत काफी गंभीर है. उन्होंने कहा, “हमने ICMR (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) के साथ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का ऑर्डर दिया है. जल्द ही कोझिकोड लाया जाएगा. आयात की गई ये दवा आईसीएमआर के पास पहले से ही उपलब्ध है.”
केरल से ही क्यों वायरस की शुरुआत?
सबके मन में एक सवाल है कि आखिर निपाह या फिर कोरोना के मामले सबसे पहले भारत में केरल राज्य से ही क्यों मिलते हैं? एम्स (All India Institute Of Medical Sciences) दिल्ली में कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ संजय राय ने बताया कि केरल में एक तरफ समुद्र है. वहीं, दूसरी तरफ जंगल. दोनों ही जगह तरह-तरह के जानवर पाए जाते हैं. इन जानवरों के सम्पर्क में आने से बीमारी फैलने की संभावना बढ़ जाती है. यहां सभी अपने घर में जानवर पालते हैं. साउथ अफ्रीका की भी यही स्थिति है. वहां भी अक्सर इसी तर्ज पर नई बीमारी का पता चलता है.