Dhanteras 2023: सनातन धर्म में दिवाली (Diwali 2023) से पहले कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस (Dhanteras 2023) का त्योहार मनाया जाता है. धनतेरस को धन्वंतरि त्रयोदशी भी कहा जाता है. परंपराओं के अनुसार, इस दिन धन-संपदा के लिए मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है. साथ ही आरोग्य की प्राप्ति के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजन का विधान है. ऐसे में आइए जानते हैं कि भगवान धन्वंतरि कौन थे और धनतेरस के दिन इनकी पूजा क्यों की जाती है…
कौन हैं भगवान धन्वंतरि?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, धनवंतरि देव उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी. इन्हें भगवान के 24 अवतारों में से 12वां अवतार माना जाता है. संसार के कल्याण के लिए धन्वंतरी देव ने ही आयुर्वेद की खोज की थी. आचार्य सुश्रुत मुनि ने इन्हीं से चिकित्साशास्त्र की जानकारी प्राप्त की थी. धनवंतरि देव को रोगों से मुक्ति देने वाले देवता के रूप में माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि, धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्यता की प्राप्ति होती है.
धनतेरस पर धन्वंतरि देव की क्यों की जाती है पूजा?
समुद्र मंथन के दौरान धन्वंतरि देव अपने हाथों में अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे. उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी. भगवान धनवंतरि चार भुजाधारी हैं. एक हाथ में उनके आयुर्वेद ग्रंथ, दूसरे हाथ में औषधि कलश, तीसरे हाथ में जड़ी बूटी और चौथे हाथ में शंख होता है. संसार में चिकित्सा प्रसार के लिए धनवंतरि देव की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए धनतेरस के दिन स्वास्थ्य धन और आरोग्य के लिए भगवान धनवंतरि की पूजन का विधान है. ये प्राणियों पर कृपा कर उन्हें रोगों से मुक्ति दिलाते हैं.
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क्यों करते हैं धनतेरस पर खरीदारी?
जब भगवान धन्वंतरि समुद्र से प्रकट हुए तब उनके हाथों में अमृत कलश था. उसी दौरान से धनतेरस या त्रयोदशी के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है. इस दिन लोग नए बर्तन में अनाज, धनिया के बीज रखते हैं. माना जाता है कि, ऐसा करने से कभी भी धन और अन्न का भंडार खाली नहीं रहता है. इसके अलावा ये भी मान्यता है कि, धनतेरस के दिन खरीदी गई वस्तुओं में तेरह गुणा बढ़ोत्तरी होती है. यही कारण है कि लोग इस दिन सोने, चांदी, पीतल खरीदते हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)