Kargil Vijay Diwas: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) 24वें करगिल विजय दिवस (Kargil Victory Day) के मौके पर लद्दाख के द्रास में आयोजित मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंाने देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दीं. करगिल विजय दिवस के मौके पर आयोजित मुख्य समारोह को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, भारत अपने सम्मान और गरिमा को बनाए रखने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) को पार करने के लिए तैयार है और नागरिकों से ऐसी स्थिति में सैनिकों का समर्थन करने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा, करगिल युद्ध भारत के ऊपर एक थोपा गया युद्ध था.
उस समय देश ने पाकिस्तान से बातचीत के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया. खुद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी ने पाकिस्तान की यात्रा करके कश्मीर सहित अन्य मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया था. लेकिन, पाकिस्तान ने भारत के पीठ में खंजर घोंप दिया. उन्होंरने कहा, आज ‘करगिल विजय दिवस’ के पावन अवसर पर, आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे बेहद खुशी हो रही है. सबसे पहले मैं, भारत माता के उन जांबाज सपूतों को नमन करता हूं, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. मैं उन वीर सपूतों को नमन करता हूं, जिन्होंने राष्ट्र को सर्वप्रथम रखा और उसके लिए अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटे. रक्षामंत्री ने आगे कहा, भारत मां के ललाट की रक्षा के लिए, 1999 में करगिल की चोटी पर देश के सैनिकों ने वीरता का जो प्रदर्शन किया, जो शौर्य दिखाया, वह इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा.
आज हम खुली हवा में सांस इसलिए ले पा रहे हैं, क्योंकि किसी समय भी शून्य से कम तापमान में भी हमारे सैनिकों ने ऑक्सीजन की कमी के बावजूद अपनी बंदूकें नीची नहीं कीं. उन्होंने कहा कि आज भारत रूपी जो विशाल भवन हमें दिखाई दे रहा है. वह हमारे वीर सपूतों के बलिदान की नींव पर ही टिका है. भारत नाम का यह विशाल वटवृक्ष, उन्हीं वीर जवानों के खून और पसीने से अभिसिंचित है। अपने हजारों सालों के इतिहास में, इस देश ने अनेक ठोकरें खाईं हैं, पर अपने वीर जवानों के दम पर यह बार-बार उठा है. उन्होंने आगे कहा, करगिल की वह जीत पूरे भारत की जनता की जीत थी. 1999 में भारतीय सेनाओं ने करगिल की चोटियों पर जो तिरंगा लहराया था, वह केवल एक झंडा भर नहीं था, बल्कि वह इस देश के करोड़ों लोगों का स्वाभिमान था.